बांध के गेट बंद होने के बाद नीचे से रिसते पानी को रोकने के लिए बांधों के पास बजरी व कंकरीट के ढेर लगा रखे हैं। सिंचाई विभाग की ओर से श्रमिकों को संविदा पर लगा रखा है। जो गेट बंद होने के लिए बांध के गेटों से हो रहे लीकेज को रोकने का काम करते है। इसके लिए श्रमिक देसी जुगाड़ से बाल्टी में बजरी और कंकरीट का मिश्रण बना कर गेट की तलहटी में डालते है। जिससे लीकेज होने वाला पानी संभवतया रूक जाता है।
विभाग के अधिशासी अभियंता पूरणचंद मेघवाल ने बताया कि प्रदेश में बांधों का रखरखाव व जीर्णोद्वार का कार्य अप्रेल माह से शुरू होगा। राणा प्रताप सागर बांध के लिए 44.8 करोड़ व जवाहर सागर बांध के लिए 37 करोड़ की अनुमानित राशि की मांग की थी। विश्व बैंक से इन बांधों समेत अन्य बांधों के जीर्णोद्वार के लिए राशि स्वीकृत हुई है। नवमबर महीने में गेटों की स्थिति जांचने के लिए पानी में वीडियोग्राफी होगी।
अधिशासी अभियंता मेघवाल ने बताया कि बांध के मरम्मत व जीर्णोद्वार में लगने वाली वास्तविक राशि की लागत निकालने के लिए केन्द्र जल आयोग की ओर से गठित विशेष टीम दिल्ली से ट्रेनिंग आने वाली है। सिचाई विभाग के अधिकारी व टीम के सदस्य पूरे बांध का सही से निरीक्षण करके मरम्मत व जीर्णोद्वार में खर्च होने वाली वास्तविक लागत की प्रोजेक्ट स्केनिंग बेबलेट रिपोर्ट बना कर 31 दिसम्बर से पहले दिल्ली भेजेंगे। इस रिपोर्ट के आधार पर टेंडर प्रक्रिया होने के बाद बांध की मरम्मत व जीर्णोद्वार किया जाएगा।