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ज्योतिषियों का दावा है कि प्रकृति का हर जीव इंसान का मित्र है। ग्रन्थों में इनकी पूजा-अर्चना बताई गई है। ज्योतिष के मुताबिक इन्हें क्षति पहंचाने से ग्रह कमजोर होते हैं। गाय को पीड़ा पहुंचाने से बृहस्पति रुष्ट हो जाते हैं। वहीं सिंह को पीड़ा पहुंचाने से सूर्य, गलत शब्द कहने से बुध, श्वान को पीड़ा पहुंचाने पर राहु-केतु तथा भेड़-बिच्छु-बंदर को क्षति पहुंचाने से मंगल के रुष्ट होने की आशंका रहती है।
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नगर निगम में गोताखोर व सर्पों के जानकार विष्णु शृंगी बताते हैं कि सर्प 33 से 38 डिग्री सेल्सियस में रहने वाले प्राणी हैं। ये कोल्ड ब्लडेड जीव हैं। सर्दी ज्यादा होने पर शीत निष्क्रियता या शीत समाधि (हाइबरनेशन पीरियड) में चले जाते हैं। इस दौरान कुछ खाते भी नहीं, धीमी श्वास लेते हैं। मई जून-जुलाई के वक्त जब बरसात होने लगती है तो बाहर आने लगते हैं। शृंगी बताते हैं कि सर्पों को मारना नहीं चाहिए। आमतौर पर लोग इनसे डरते हैं और इन्हें मार देते हैं, जबकि बिना छेड़े ये नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। अधिकांश सर्प जहरीले भी नहीं होते।
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ज्योतिषाचार्य शिवप्रकाश दाधीच व देवेन्द्र प्रतिहस्त के अनुसार जब कुण्डली में राहु व केतु के बीच शेष ग्रह सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र व शनि आ जाते हैं तो कालसर्प दोष माना जाता है।
यह दोष १२ तरह का होता है जो नौकरी, रोजगार, शिक्षा, स्वभाव में चिड़चिड़ापन व विवाह आदि में बाधक बन सकता है। सर्प हत्या या उसे सताने से कालसर्प दोष कुंडली में बन सकता है। कई बार तीन पीढि़यों में भी कालसर्प दोष देखा गया है। नारी विशेष-बेटियां हमारी ताकत और गुरुर हैं,उन्हें उड़ान भरने का अवसर दें
ये रखें सावधानी
खेत-खलिहान में कार्य करते समय लोंग शूज पहनें। घर में चूहे, मेंढक, छिपकली इत्यादि का प्रवेश नहीं होने दें। बखारी व अन्य बंद स्थानों पर सावधानी से हाथ डालें। बरसात में खाट, पलंग पर सोएं। सर्प के काटने पर तत्काल चिकित्सक को दिखाएं।