सूर्य मान-सम्मान का प्रतीक ऐसे भवन स्वामी को खूब मान-सम्मान मिलता है इसका कारण है सूर्य अपार शक्ति और तेज के देवता हैं। सुबह के समय पूर्व दिशा से मिलने वाली किरणें अनंत गुणधर्म वाली ऊर्जा से युक्त होती हैं यही कारण है कि वास्तुविज्ञान में पूर्व व उत्तर की दिशाओं को अत्याधिक महत्व दिया जाता है,क्योंकि सूर्य से मिलने वाली सकारात्मक ऊर्जा का मुख्य द्वार पूर्व दिशा ही है।
वहीं उत्तर एवं ईशान से ब्रह्मांडीय ऊर्जा भी भवन में प्रवेश करती है। ये दोनों ऊर्जाएं मिलकर भवन के अंदर एक विशेष ऊर्जामंडल बनाती हैं जो भवन के निवासियों को सकारात्मक परिणाम देती हैं।
सूर्य के अनुसार कब क्या करें ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया कि मध्य रात्रि से तड़के 3 बजे तक सूर्य पृथ्वी के उत्तरी भाग में होता है। यह समय अत्यंत गोपनीय होता है। यह दिशा व समय कीमती वस्तुओं या जेवरात आदि को संभाल कर गुप्त स्थान पर रखने के लिए उत्तम है।
सूर्योदय से पहले रात्रि 3 से सुबह 6 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है। इस समय सूर्य पृथ्वी के उत्तर-पूर्वी भाग में होता है। यह समय चिंतन-मनन व अध्ययन के लिए बेहतर होता है।
सुबह 6 से 9 बजे तक सूर्य पृथ्वी के पूर्वी हिस्से में रहता है, इसीलिए घर ऐसा बनाएं कि इस समय सूर्य की पर्याप्त रोशनी घर में आ सके। सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक सूर्य पृथ्वी के दक्षिण-पूर्व में होता है। यह समय भोजन पकाने के लिए उत्तम है।
रसोईघर व स्नानघर (बाथरूम) गीले होते हैं। ये ऐसी जगह होने चाहिए, जहां सूर्य की पर्याप्त रोशनी आ सके, तभी ये स्थान सूखे और स्वास्थ्यकर हो सकते हैं।
दोपहर 12 से 3 बजे तक आराम का समय होता है। सूर्य अब दक्षिण में होता है, अत: आराम कक्ष इसी दिशा में बनाना चाहिए।
दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक अध्ययन और कार्य का समय होता है और सूर्य दक्षिण-पश्चिम भाग में होता है। अत: यह दिशा अध्ययन कक्ष या पुस्तकालय के लिए उत्तम है।
शाम 6 से रात 9 तक का समय खाने, बैठने और पढऩे का होता है। इसलिए घर का पश्चिमी कोना भोजन या बैठक कक्ष के लिए शुभ होता है।
शाम 9 से मध्य रात्रि के समय सूर्य घर के उत्तर-पश्चिम में होता है। यह स्थान शयन कक्ष,पालतू जानवरों को रखने के लिए भी उपयोगी है।