इसमें इन लोगों ने रक्तदान किया था। एक निजी ब्लड बैंक ने जब रक्त की जांच की तो करीब एक दर्जन लोग हेपेटाइटिस-बी पॉजीटिव पाए गए। यह तो वे रोगी हैं, जिनके ब्लड की जांच हुई है। प्रेमनगर द्वितीय निवासी नेमीचंद नागर, बुद्धि प्रकाश, बालकिशन राठौर, महेन्द्र वैष्णव व उसका भाई शिवराज वैष्णव, प्रवीण गालव, विजेन्द्र नागर, श्याम नागर, सुनील सुमन ने रक्तदान किया था, इसलिए उनके इस रोग से पीडि़त होने के बारे में पता चल सका।
गौरतलब है कि डीसीएम क्षेत्र में इन्द्रगांधी नगर, प्रेमनगर, कंसुआ, श्रीराम नगर समेत अन्य क्षेत्र आते हैं। इनमें करीब ५० हजार परिवार निवास करते हैं। अधिकतर मजदूर परिवार हैं। चिकित्सा विभाग यदि इन क्षेत्रों का सर्वे करे तो अन्य रोगी भी सामने आ सकते हैं।
यह है हेपेटाइटिस-बी
हेपेटाइटिस ‘बी’ सबसे अधिक सामान्य लीवर/ यकृत का संक्रमण है। यह हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) के कारण होता है, जो लीवर/ यकृत पर हमला करता है। यह रक्त द्वारा, असुरक्षित यौन संबंध द्वारा, दूसरों के लिए उपयोग की गई सूई या एक ही सुई कई लोगों के लिए उपयोग में लाई जाए उससे तथा संक्रमित माता द्वारा नवजात शीशु, गर्भावस्था या प्रसव के दौरान हस्तांतरित होती है। अधिकांश वयस्क लोग जो इस रोग से संक्रमित होते हैं, किसी समस्या के बिना इस रोग से छुटकारा पा लेते हैं, किन्तु कुछ वयस्क लोग इस वायरस से मुक्त नहीं हो पाते और संक्रमण के शिकार होते हैं।
हेपेटाइटिस ‘बी’ सबसे अधिक सामान्य लीवर/ यकृत का संक्रमण है। यह हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) के कारण होता है, जो लीवर/ यकृत पर हमला करता है। यह रक्त द्वारा, असुरक्षित यौन संबंध द्वारा, दूसरों के लिए उपयोग की गई सूई या एक ही सुई कई लोगों के लिए उपयोग में लाई जाए उससे तथा संक्रमित माता द्वारा नवजात शीशु, गर्भावस्था या प्रसव के दौरान हस्तांतरित होती है। अधिकांश वयस्क लोग जो इस रोग से संक्रमित होते हैं, किसी समस्या के बिना इस रोग से छुटकारा पा लेते हैं, किन्तु कुछ वयस्क लोग इस वायरस से मुक्त नहीं हो पाते और संक्रमण के शिकार होते हैं।
डॉक्टर व्यू
संक्रमित सूई, संक्रमित ब्लड व यौन संबंधों से हेपेटाइटिस-बी पॉजीटिव होता है। यदि शरीर में इसका वायरस पनप रहा हो तो वह कोशिकाओं को नष्ट करता है। इसके असर से लीवर सिकुड़कर डैमेज हो जाता है। लीवर में कैंसर होने की आशंका रहती है। समय पर उपचार नहीं होने पर व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
डॉ. मनोज सलूजा, सीनियर फिजिशियन
संक्रमित सूई, संक्रमित ब्लड व यौन संबंधों से हेपेटाइटिस-बी पॉजीटिव होता है। यदि शरीर में इसका वायरस पनप रहा हो तो वह कोशिकाओं को नष्ट करता है। इसके असर से लीवर सिकुड़कर डैमेज हो जाता है। लीवर में कैंसर होने की आशंका रहती है। समय पर उपचार नहीं होने पर व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
डॉ. मनोज सलूजा, सीनियर फिजिशियन
बचाव के उपाय
– मरीज को सबसे पहले चिकित्सक को दिखाकर उपचार शुरू करवाना चाहिए।
– वायरस के एक्टिव होने पर मरीज को दो साल तक लगातार एंटी वायरल दवा लेनी चाहिए।
– यदि वायरस एक्टिव नहीं है तो मरीज को प्रत्येक साल टेस्ट करवाना चाहिए।
– मरीज को सबसे पहले चिकित्सक को दिखाकर उपचार शुरू करवाना चाहिए।
– वायरस के एक्टिव होने पर मरीज को दो साल तक लगातार एंटी वायरल दवा लेनी चाहिए।
– यदि वायरस एक्टिव नहीं है तो मरीज को प्रत्येक साल टेस्ट करवाना चाहिए।
प्रेमनगर द्वितीय में हेपेटाइटिस-बी पॉजीटिव रोगी सामने आए है तो टीम भिजवाकर सर्वे करवाएंगे। हेपेटाइटिस-बी संक्रमण से फैलता है।
डॉ. आरके लवानिया, सीएमएचओ, कोटा इधर, कोचिंग छात्र को स्क्रब टाइफस, हालत गंभीर
कुन्हाड़ी स्थित एक हॉस्टल में रह रहे कोचिंग छात्र को स्क्रब टाइफस पॉजीटिव आया है। उसे गंभीर हालत में निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। तलोदा नंदरबार महाराष्ट्र निवासी भावेश सूर्यवंशी (१९) की ११ फरवरी को तबीयत खराब हुई तो उसने मेडिकल से गोली ले ली। स्थिति में सुधार नहीं होने पर कुन्हाड़ी में ही निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसके बाद वहां से स्थिति बिगडऩे पर उसे झालावाड़ रोड स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। शुक्रवार को जांच में छात्र स्क्रब टाइफस पॉजीटिव पाया गया। डॉ. पीडी शर्मा ने बताया कि स्क्रब टाइफस की वजह से रोगी के लंग्स व लीवर में समस्या है।
डेंगू-स्वाइन फ्लू के दो नए रोगी
वहीं चिकित्सा विभाग के अनुसार सरस्वती कॉलोनी निवासी लखन (४२) डेंगू पॉजीटिव पाया गया है। साथ ही प्रेम नगर तृतीय निवासी बलराम को स्वाइन फ्लू पॉजिटिव आया है। स्वाइन फ्लू के अब तक १४ मामले सामने आ चुके हैं और ३ लोगों की मौत हो चुकी है। डेंगू के डेढ़ माह में ४२ रोगी सामने आ चुके हैं।
वहीं चिकित्सा विभाग के अनुसार सरस्वती कॉलोनी निवासी लखन (४२) डेंगू पॉजीटिव पाया गया है। साथ ही प्रेम नगर तृतीय निवासी बलराम को स्वाइन फ्लू पॉजिटिव आया है। स्वाइन फ्लू के अब तक १४ मामले सामने आ चुके हैं और ३ लोगों की मौत हो चुकी है। डेंगू के डेढ़ माह में ४२ रोगी सामने आ चुके हैं।