scriptBreaking News: रियासतकालीन चिडिय़ाघर के पिंजरों में बंद वन्यजीवों की आजादी को लगे ग्रहण | Bad Condition of Biological Park of Kota | Patrika News

Breaking News: रियासतकालीन चिडिय़ाघर के पिंजरों में बंद वन्यजीवों की आजादी को लगे ग्रहण

locationकोटाPublished: Jan 13, 2018 01:12:38 pm

Submitted by:

abhishek jain

कोटा. रियासतकालीन चिडिय़ाघर के पिंजरों में बंद वन्यजीवों के लिए बनाए बायोलोजिकल पार्क को शुरूआती दौर में ही ग्रहण लगते दिख रहा है।
 

Biological Park
कोटा .

रियासतकालीन चिडिय़ाघर के पिंजरों में बंद वन्यजीवों को आजादी मिले, वे खुली हवा में सांस लें, इसे ध्यान में रखते हुए अभेड़ा क्षेत्र में प्रस्तावित बायोलोजिकल पार्क को शुरूआती दौर में ही ग्रहण लगते दिख रहा। यहां जिस ग्रीन वाल की शर्त पर सीजेडएआई ने पार्क की अनुमति दी, उसी के पौधे पनपने से पहले दम तोड़ रहे हैं। वहज है वही ट्रेचिंग ग्रउंड जिसकी आशंका सीजेडएआई ने जताई थी। यहां जलते कचरे की आग और प्रदूषण से ग्रीन वाल पौधे का दम घुट रहा है।
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सीजेडएआई की शर्त के मुताबिक यहां पार्क ट्रेंचिंग ग्राउंड के बीच में ग्रीन वॉल बनाई जा रही है। इसके तहत 10 हजार पौधे लगाए जाने हैं लेकिन यहां पौधे बड़े होने से पहले ही ट्रेचिंग ग्राउण्ड की आग से झुलस कर नष्ट हो रहे हैं।
नगर निगम के टेंचिंग ग्राउंड में कचरा जलाया जा रहा है जिसकी बदबू व वातावरण में फैल रही विषैली गैसों से पौधे नष्ट हो रहे। हालांकि वन
विभाग कह रहा है कि छोटे पौधों की जगह बड़े पौधे लगाए जाएंगे, इन्हें बंगलूरू से मंगवाया जाएगा।
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39 लाख में ये हो रहे कार्य
बायोलोजिकल पार्क में 39 लाख की लागत से 10 हजार पौधे लगाना, बाउंड्रीवाल करना, बोरिंग, ड्रिप सिस्टम, ब्लास्टिंग, लाइनिंग के काम हो रहे हैं। जनवरी के अंत तक ये सभी कार्य पूरे होने हैं। अभी 65 प्रतिशत कार्य ही पूरा हो सका है। बॉयोलोजिकल पार्क करीब 126 हैक्टेयर में बनाया जाएगा। इसमें वन्यजीवों के लिए मापदण्डों के अनुरूप पिंजरे, स्लॉटर हाउस, वाच टावर, पाथ वे तथा सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएंगी। वर्तमान में नयापुरा का चिडिय़ाघर केन्द्रीय जू प्राधिकरण के मापदण्डों के अनुरूप खरा नहीं उतरता। प्राधिकण की अस्थाई तौर पर मान्यता से संचालित किया जा रहा है।

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तीन दशक के इंतजार के बाद मिली थी मंजूरी

26 फरवरी, 17 को 29 साल की कोशिशों के बाद सीजेडएआई ने अभेड़ा में बायोलॉजिकल पार्क निर्माण को स्वीकृति दी थी, लेकिन साथ ही शर्त भी लगा दी थी कि बायोलॉजिकल पार्क की जमीन के एक हिस्से में नगर निगम के ट्रेंचिंग ग्राउण्ड और पार्क के बीच ग्रीन वॉल बनानी होगी। इसी के तहत यहां 10 हजार पौधे लगाए जा रहे हैं, ताकि ट्रेंचिंग ग्राउंड के कूड़े की बदबू से वन्यजीव बीमार व संक्रमित नहीं हों। ट्रेंचिंग ग्राउंड की वजह से ही स्वीकृति लेने में समय लग गया।
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दिया था सुझाव
प्रशासनिक और वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने पार्क व ट्रेंचिंग ग्राउण्ड के बीच में ग्रीन बाल बनाने का सुझाव दिया था। तब कहीं जाकर सीजेडएआई ने पार्क विकसित करने की स्वीकृति दी। माना जा रहा कि ग्रीन वाल बनने से वन्यजीव ट्रेंचिंग ग्राउण्ड की समस्या से सुरक्षित रहेंगे।
10000 पौधे लगने हैं ग्रीन वॉल में

65% पौधे लगाए जा चुके हैं यहां।

50% पौधे झुलस गए हैं।

126 हैक्टेयर में बनाया जाएगा बॉयोलोजिकल पार्क
26 फरवरी 2017 को सीजेडएआई ने दी थी शर्तिया हरी झंडी
29 साल की कोशिशों के बाद मिली थी स्वीकृति
400 मीटर चौड़ी बनाई जा रही है ग्रीन वाल
39 लाख रुपए से हो रहे पौधारोपण समेत अन्य कार्य
कोटा सहायक वन संरक्षक एसएस यादव का कहना है कि फरवरी के बाद पौधे ग्रोथ कर लेंगे। कुछ चारदीवारी का कार्य होना शेष है। इसके बनने के बाद ट्रेंचिंग ग्राउण्ड से उठने वाले धुएं व आग से पौधे सुरक्षित हो जाएंगे।
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