इन मरीजों के इलाज में करीब 25 लाख रुपए जांच, दवाइयां, इम्पलांट व सर्जिकल आइटमों में खर्च हुए थे। जो क्लेम डिलीट करने से बीमा कंपनी से अस्पताल को नहीं मिल पाएंगे। एेसे में करीब 83 लाख रुपए का नुकसान हो गया है। साथ ही इन मरीजों का बीमा करवाने के लिए सरकार ने इंश्योरेंस कंपनी को जो राशि जमा करवाई हैं। उस राशि का नुकसान हुआ सो अलग। साथ ही इस पूरी राशि का फायदा बीमा कंपनी को हो गया है। अब जिम्मेदार अधिकारी गलती सुधारने के बजाए सफाई देने में जुटे हैं।
दावा करते हैं 15 लाख नौकरियां देने का, और छह साल में 15 का आंकड़ा भी नहीं कर पाए पार नाराजगी जताई थी… पिछले दिनों बीएसबीवाई योजना की बैठक और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में एमबीएस अस्पताल में क्लेम की पेंडेंसी को लेकर नाराजगी जताई थी। साथ ही एमबीएस प्रबंधन को फटकार लगाते हुए, प्री ओर्थ टीआईडी के सभी पेंडिंग क्लेम चार दिन में सबमिट करने के निर्देश दिए थे। कार्रवाई के डर से अस्पताल प्रबंधन ने सीधे वर्ष 2016 के पेंडिंग प्री ओर्थ क्लेम (जिनकी स्वीकृति बीमा कम्पनी से मिल चुकी थी) डिलीट कर दिए। एेसे में अब इनका भुगतान नहीं हो सकेगा।
#Picnicspot: भंवरकुंज में आया उफान, सुरक्षा के नहीं हैं कोई इंतजाम क्या है प्री ओर्थ एप्रूव्ड प्री ओर्थ एप्रूव्ड कैसेज में वे मरीज आते हैं, जिनको बीमा कंपनी ने कैशलेस इलाज करवाने की स्वीकति दे दी। इन मरीजों ने अस्पताल में इलाज भी कराया, लेकिन भामाशाह काउंटर से डिस्चार्ज नहीं हुए। वार्ड स्टाफ ने इनकी फाइल भामाशाह काउंटर की जगह सीधे रिकॉर्ड रूम में भेज दी। इनमें कुछ फीसदी वे मरीज भी है, जो बिना बताए या इलाज नहीं करवाने का लिखकर अस्पताल से चले गए, लेकिन उनका रिकॉर्ड भी अस्पताल के पास ही रहता है।
नहीं चली हाड़ौती की शान, अब चलेगी सिर्फ फूल पत्तियां ये करना था अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी और नर्सिंग प्रभारी भामाशाह को मेडिकल रिकॉर्ड रूम से प्री ओथ एप्रूव्ड कैसेज की फाइल निकलवानी थी, इनको बीएसबीवाई के सॉफ्टवेयर में अपलोड करवाना था, ताकि उनका डिस्चार्ज सुनिश्चित होने पर बीमा कंपनी भुगतान कर देती। साथ ही वे मरीज जो बिना बताए या इलाज नहीं करवाने का लिखकर चले जाते हैं, बीमा कंपनी उनके क्लेम का पैसा जनरल पैकेज के अनुसार देती है।
पहले भी खत्म की थी क्वैरीज एमबीएस अस्पताल ने पिछले साल दिसम्बर माह में भामाशाह योजना के क्लेम क्वैेरीज को खत्म किया था। इसके लिए रिकॉर्ड रूम से मरीजों के उपचार से संबंधित कागजात निकलवाएं और रेजीडेंट चिकित्सकों से डिस्चार्ज भी बनवाए थे।
मेरे पहले के कैसेज है। एसएनओ एमपी जैन ने मीटिंग में निर्देश दिए थे कि पुराने प्री ऑर्थ कैसेज का पैसा नहीं मिलेगा। इन्हें सिस्टम से हटा दें। डॉ. एचके गुप्ता, प्रभारी, भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना
मुझे मामले की जानकारी नहीं हैं। मैं भामाशाह के प्रभारी व कार्मिकों से पता करता हूं। डॉ. पीके तिवारी, अधीक्षक, एमबीएस अस्पताल मैंने तो जिन मरीजों ने इलाज नहीं लिया, उनके क्लेम डिलीट करने को लिखा था, सभी के क्लेम डिलीट कर दिए तो ऑडिट में गलती पकड़ में आ जाएगी।
एमपी जैन, स्टेट नोडल ऑफिसर, बीएसबीवाई