कई जगहों पर बसंत कलश की स्थापना की जाएगी। इस दिन मंदिरों, विद्यालयों और अन्य धार्मिक स्थलों पर
मां सरस्वती की पूजा होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं बसंत पंचमी पर सरस्वती माता के अलावा कुछ अन्य देवी-देवताओं को भी पूजा जाता है। आइए जानते हैं इनके बारे में खास बातें…
रति और कामदेव की पूजा बसंत पंचमी पर
कामदेव और उनकी पत्नी रति की भी पूजा होती है। कामदेव और रति को पुराणों में प्रेम और यौन संबंध के देवी-देवता के रूप में बताया गया है। बसंत पचंमी के दिन कामदेव और रति ऋतुराज बसंत के साथ पृथ्वी पर आते हैं और मनुष्यों ही नहीं धरती के सभी जीव जंतुओं के हृदय में प्रेम और यौन भावनाओं को जागृत करने का काम करते हैं।
देवी सरस्वती की पूजा मां सरस्वती के प्रकट होने के बाद सृष्टि के रचियता उनके पिता ब्रह्माजी ने उन्हें समस्त मानवजाति को ज्ञान और बुद्धि प्रदान करने का दायित्व सौंपा। काम भाव मनुष्य पर हावी ना हो जाए इसलिए ही देवी सरस्वती मनुष्यों में ज्ञान और विवेक जगाने के लिए प्रकट हुईं थी। इसलिए कामदेव और रति के साथ बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।
राधाजी कृष्ण की पूजा पवित्र प्रेम के प्रतीक माने जाने वाले भगवान कृष्ण और राधाजी की पूजा भी बसंत पंचमी के दिन की जाती है। द्वापर युग में
राधा और श्रीकृष्ण प्रेम के देवी-देवता के रूप में प्रकट हुए थे। बसंत पंचमी के दिन से ही श्रीकृष्ण और देवी राधा की होली शुरू हो जाती थी इसलिए बसंत पंचमी के दिन गुलाल लगाने की भी परंपरा इस देश में सदियों से चली आ रही है। शायद यही वजह है कि भारतीय संस्कृति में बसंत पंचमी सरस्वती पूजन और प्रेम दिवस के रूप में भी मनाने की परंपरा रही है।
भगवान विष्णु की उपासना बसंत पंचमी के अवसर पर भगवान विष्णु की उपासना का भी विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन प्रात: उठकर पूरे शरीर पर तेल की मालिश करने के बाद स्नान करना चाहिए। इसके बाद घर के सभी लोगों को पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की मूर्ति का श्रृंगार करना चाहिए और भगवान को भी पीले वस्त्र पहनाने चाहिए। उसके बाद विधिविधान से पूजा करने के बाद पीले मिष्ठान और पीले फल अर्पित करने चाहिए।