भालुओं ने किया जानलेवा हमला
डीएम प्लांट पर तैनात ऑपरेटर देवकीनंदन मोरवाल रात करीब साढ़े आठ बजे पानी पीने के लिए ड्यूटी पाइंट से बाहर निकले तो उन्होंने बाहर भालुओं के दो बच्चों को टहलते हुए देखा। इससे पहले कि देवकी नंदन वापस लौटकर प्लांट में आते पीछे से मादा भालू ने उन पर हमला कर दिया। बच्चों के साथ खुली घूम रही मादा भालू ने उनकी गर्दन, पीठ और शरीर पर कई जगह पंजों से वार किया। देवकीनंदन की चीख पुकार सुनते ही प्लांट में कार्यरत दूसरे कर्मचारी दौड़ते हुए आए और उन्होंने जैसे तैसे भालुओं को भगाकर उन्हें बचाया।
डीएम प्लांट पर तैनात ऑपरेटर देवकीनंदन मोरवाल रात करीब साढ़े आठ बजे पानी पीने के लिए ड्यूटी पाइंट से बाहर निकले तो उन्होंने बाहर भालुओं के दो बच्चों को टहलते हुए देखा। इससे पहले कि देवकी नंदन वापस लौटकर प्लांट में आते पीछे से मादा भालू ने उन पर हमला कर दिया। बच्चों के साथ खुली घूम रही मादा भालू ने उनकी गर्दन, पीठ और शरीर पर कई जगह पंजों से वार किया। देवकीनंदन की चीख पुकार सुनते ही प्लांट में कार्यरत दूसरे कर्मचारी दौड़ते हुए आए और उन्होंने जैसे तैसे भालुओं को भगाकर उन्हें बचाया।
वन विभाग की टीम बुलाई
देवकी नंदन पर भालुओं के हमले की खबर मिलते ही मुख्य अभियंता अजय सक्सेना समेत कोटा थर्मल के तमाम आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए। घायल थर्मल कर्मचारी को पहले सकतपुरा डिस्पेंसरी ले जाया गया। जहां उसकी हालत गंभीर होने पर एमबीएस अस्पताल रैफर कर दिया। गर्दन पर भालू के पंजे के नाखून लगने से देवकीनंदन की हालत अभी गंभीर बनी हुई है। हमले के बाद कोटा थर्मल प्रशासन ने वन विभाग की टीम को भालुओं को पकडऩे के लिए मौके पर बुलाया है।
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पहले भी हुए हिंसक
कोटा थर्मल में करीब तीन साल से भालुओं और पेंथर का आतंक बना हुआ है। इससे पहले भी थर्मल कर्मचारियों और आसपास के रिहाइशी इलाकों में लोगों पर हमला कर चुके हैं। कोटा थर्मल प्रशासन ने इन्हें पकडऩे के लिए पिंजड़े बनवाकर भी दिए, लेकिन वन विभाग अभी तक एक भी वन्य जीव को नहीं पकड़ सका है। जिससे थर्मल कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।
ऑपरेटर देवकीनंद डीएम प्लांट पर काम कर रहे थे। मादा भालू अपने दो बच्चों के साथ प्लांट के बाहर घूम रही थी। जिसने उन पर हमला कर दिया। देवकीनंदन की गर्दन और पीठ आदि पर चोटें आई हैं। उन्हें एमबीएस में भर्ती कराया गया है। साथ ही वन विभाग के आला अधिकारियों को रात में ही भालुओं को पकडऩे के लिए बुलाया गया है।
अजय सक्सेना, मुख्य अभियंता, कोटा थर्मल
पहले भी हुए हिंसक
कोटा थर्मल में करीब तीन साल से भालुओं और पेंथर का आतंक बना हुआ है। इससे पहले भी थर्मल कर्मचारियों और आसपास के रिहाइशी इलाकों में लोगों पर हमला कर चुके हैं। कोटा थर्मल प्रशासन ने इन्हें पकडऩे के लिए पिंजड़े बनवाकर भी दिए, लेकिन वन विभाग अभी तक एक भी वन्य जीव को नहीं पकड़ सका है। जिससे थर्मल कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।
ऑपरेटर देवकीनंद डीएम प्लांट पर काम कर रहे थे। मादा भालू अपने दो बच्चों के साथ प्लांट के बाहर घूम रही थी। जिसने उन पर हमला कर दिया। देवकीनंदन की गर्दन और पीठ आदि पर चोटें आई हैं। उन्हें एमबीएस में भर्ती कराया गया है। साथ ही वन विभाग के आला अधिकारियों को रात में ही भालुओं को पकडऩे के लिए बुलाया गया है।
अजय सक्सेना, मुख्य अभियंता, कोटा थर्मल