Bhainsrodgarh Wildlife Sanctuary
रावतभाटा. भैंसरोडगढ़ वन्य जीव अभयारण्य की बेशकीमती जमीन को अतिक्रमियों से बचाना अब टेड़ी खीर साबित हो रहा है। आए दिन अभयारण्य की जमीन पर कही न कही अतिक्रमण होता है लेकिन उन्हें बचाने के लिए मात्र 7 वन रक्षक ही हैं। वन रक्षक व सहायक वनपाल जाकर अतिक्रमण हटाते हैं लेकिन मौके पर अतिक्रमी नहीं मिलते हैं। ऐसे में कानूनी कार्रवाई नहीं हो पाती है। अतिक्रमी पुन: अतिक्रमण का प्रयास करते हैं।
सहायक वनपाल नवाब सिंह ने बताया कि वनखंड क्षेत्र कोलगढ़ में फुटपाल तालाब के पास अज्ञात व्यक्तियों ने पत्थरों की दीवार बनाकर अतिक्रमण कर लिया था, जिसे मौके पर जाकर तोड़ दिया। पाडाझर वनखंड में सेंटल डेम गांव के पास अज्ञात व्यक्तियों ने कांटों की बाड़ बन ली। बीच में त्रिपाल की झौपड़ी बन ली। मौके पर वन रक्षक विनोद यादव, राजेन्द्र चौधरी, प्रेम कुंवर पहुंचे। झौपड़ी के अन्दर जाकर देखा तो कोई नहीं मिला। झौपड़ी के अन्दर चूल्हा था। टीम ने मौके पर ही अतिक्रमण तोड़ दिया। इसके बाद लकडिय़ां जप्त कर ली।
पूर्व में भी यही हुए अतिक्रमण
वन रक्षक विनोद यादव ने बताया कि फुटपाल तालाब के पास पूर्व में भी दो बार अतिक्रमण को तोड़ा गया है लेकिन मौके पर कोई नहीं मिलता है। इसी तरह से बहेडिय़ा में भी कुछ माह पहले दीवार बनाकर अतिक्रमण किया था, जिसे तोड़ दिया।
12 वनखंड के लिए मात्र 7 वन रक्षक
भैंसरोडगढ़ वन्य जीव अभयारण्य को 12 वनखंड में बांटा गया है लेकिन वन रक्षक मात्र 7 ही हंै। वन पाल/ सहायक वन पाल के 2 पद भरे हुए हैं। इसी तरह से 2 ही केटल गार्ड कार्यरत हैं। यानि एक-एक वन रक्षक व वनपाल/ सहायक वनपाल पर एक वनखंड से ज्याद की जिम्मेदारी है।
जुर्माने व सजा का प्रावधान
यदि कोई वन्य भूमि पर अतिक्रमण करता है और वह पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ वन संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 34 (ए) के तहत 25 हजार रुपए अधिकतम जुर्माना लग सकता है। उसे सजा भी हो सकती है।