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कोटा

गड़बड़झाला : ‘आयुक्त का कम्प्यूटर ऑपरेटर भी बन गया सफाईकर्मी’

नियमित पढ़ाई वाले छात्रों को दे दिए अनुभव प्रमाण-पत्र

कोटाJul 20, 2018 / 05:35 pm

shailendra tiwari

kota news

गड़बड़झाला : ‘आयुक्त का कम्प्यूटर ऑपरेटर भी बन गया सफाईकर्मी’

हाबूलाल शर्मा / कोटा. नगर निगम में हाल में हुई सफाई कर्मचारी भर्ती में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। नियम-कायदों को ताक में रखकर ज्वाइनिंग भी दे दी गई है। निगम प्रशासन भी अब अपनी खाल बचाने के लिए दस्तावेजों की जांच की बात कर रहा है।
सफाई कर्मचारी भर्ती में गड़बड़ी की लगातार आ रही शिकायतों के बाद ‘पत्रिकाÓ ने भर्ती किए गए 1165 कर्मचारियों के दस्तावेजों की पड़ताल की तो हैरानी करने वाली गड़बडि़यां सामने आई। जिम्मेदार अधिकारियों ने आंखें बंद कर नियुक्तियां दे दी हैं। अब समूची भर्ती प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं।

इंजीनियरिंग-डॉक्टरी पढऩे वाले भी
भर्ती लाटरी में कुछ नाम ऐसे विद्यार्थियों के भी हैं, जो डॉक्टर-इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, अब सफाई कर्मचारी बन गए हैं। उन्होंने अनुभव प्रमाण-पत्र भी लगा दिए हैं। बीकानेर की छात्रा हेमलता वाल्मीकि कोटा में रहकर मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही है। कोटा कोटड़ी निवासी सौरव चौहान नर्सिंग कर रहा है। मोना आईटीआई कर रही है। जबकि महेन्द्र सिंह हाड़ा पिछले आठ-दस साल से नगर निगम आयुक्त कार्यालय में कम्प्यूटर का काम कर रहा है। इन सभी का नाम चयनितों की सूची में है।

एक ही परिवार में दो को मिली नौकरी
सूरसागर निवासी विक्रम पटोना व उसकी पत्नी मधू, डीसीएम स्थित इन्द्रागांधी नगर स्थित हरिजन बस्ती निवासी कालू व उसकी पत्नी सपना का नाम चयनित सूची में शामिल है।

ऐसी हैं गड़बडि़यां

अनुभव प्रमाण-पत्र जरूरी होने के बाद भी नियमित पढ़ाई कर रहे विद्यार्थी को सफाईकर्मी बना दिया गया।-जिसकी निर्धारित सीमा अधिक है, वे भी चयनितों में शामिल हैं।
एक जनवरी 2011 को अठारह वर्ष पूरे करने वालों के सूची में नाम हैं। कैसेे एक साल का अनुभव प्रमाण-पत्र मिला। तीन-चार संतान वालों का भी चयन कर लिया गया।
निगम में ठेका फर्म के माध्यम से लगे कम्प्यूटर ऑपरेटर भी सफाई कर्मी बन गए, कहां से अनुभव प्रमाण-पत्र जारी हुआ।

तीन व चार संतानों वाले आवेदकों का भी चयन
गाइडलाइन के अनुसार 1 जून 2002 के बाद दो से अधिक संतान होने की अवस्था में आवेदक का फॉर्म निरस्त कर दिया जाएगा। लेकिन, चयनित सूची में ऐसे कई नाम हैं जिनके तीन या चार संतानें हैं। गोबरिया बावड़ी निवासी घासीलाल पुत्र रामगोपाल के चार संतान, नयापुरा निवासी सुनील पुत्र लटूरलाल के चार, भाटापाड़ा रामपुरा निवासी पप्पू पुत्र देवीलाल के तीन संतान 2012 में बने राशनकार्ड में दर्ज हैं। इनके अलावा भी अनेक हैं जिनके दो से अधिक संतान होने के बावजूद चयनित सूची में नाम है।

12 अभ्यर्थी जो 19 में होंगे 18 के
१. सौरभ घंघेट, बोम्बो योजना कोटा
२. विकास, नयापुरा कोटा
३. विजय, ग्राम सागरपुर तहसील लाडपुरा 4. शीतल, हरिजन बस्ती ग्राम अलोद
४. अमन कुमार, कच्ची बस्ती इंद्रागांधी नगर
५. अजय कुमार, चम्बोली तहसील अटरू, बारां
६. गोविन्दा चौहान, तुल्लापुरा हरिजन बस्ती कोटा जंक्शन,
७. अविनाश, हरिजन बस्ती छबड़ा, बारां
८. अभिषेक बापूनगर कुन्हाड़ी
९. सन्नी डागर, हरिजन बस्ती भाटापाड़ा रामपुरा
१०. अर्जुन धूरिया, सकतपुरा कोटा
११. गणेश, कच्ची बस्ती संतोषी नगर कोटा
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दस्तावेजों में ‘सफाईÓ तो गंवाई नौकरी


दस्तावेजों में भारी पड़ेगी गलत जानकारी देना
रणजीत सिंह सोलंकी
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कोटा ञ्च पत्रिका . नगर निगम में हाल में हुई सफाई कर्मचारियों की भर्ती में हेराफेरी की यह तो बानगी मात्र है। सफाई कर्मचारी की नौकरी के लिए दस्तावेजों में ‘सफाईÓ दिखाने की कारस्तानी अब सामने आने लगी है। कई अभ्यर्थियों ने फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी हासिल कर ली है। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद अब निगम ने चयनित कर्मचारियों के दस्तावेजों की गहन पड़ताल शुरू कर दी है। इसमें गड़बडि़यां भी सामने आ
रही हैं। निगम ने हाल में 1164 आवेदकों का लॉटरी के माध्यम से चयन किया है। इससे पहले अप्रेल में करीब 600सफाई कर्मचारियों को ज्वाइंनिंग दी थी। महापौर और आयुक्त को कई आवेदकों की ओर से झूठे शपथ-पत्र लगाने और दस्तावेजों में गलत जानकारी देने की शिकायतें मिली हैं। इसके चलते महापौर ने जांच के आदेश दिए।
& अनुभव, आयु, संतान संबंधित गलत जानकारी देने की शिकायतें लगाातार आ रही हैं। इसके चलते आयुक्त को सभी चयनित कर्मचारियों के दस्तावेजों की विस्तृत जांच करवाने को कहा है।
महेश विजय, महापौर

पार्षदों की लॉबिंग रंग लाई, फिर ठेके की मलाई


कोटा ञ्च पत्रिका . नगर निगम में स्थायी सफाई कर्मचारियों की भर्ती होने के बाद सफाई में पार्षदों की ‘मलाईÓ नहीं छिने, इसका निगम प्रशासन ने ही तोड़ निकाल लिया है। पार्षदों की लॉबिंग के बाद निगम मुख्य मार्गों और नालों की सफाई के नाम १० करोड़ से अधिक की रकम का ठेका देने जा रहा है। इसके ई-टेंडर जारी कर दिए हैं।
दो दिन पहले हुई कार्य समिति की बैठक में पार्षदों ने सफाई कर्मियों की भर्ती के बाद ठेका कर्मचारियों के बेरोजगार होने का मसला उठाते हुए ‘लॉबिंगÓ की थी। तब बैठक में आयुक्त ने कहा था कि ‘स्थायी कर्मचारियों की भर्ती के बाद भी कैसे ठेका दे सकते हैं, इस पर चर्चा कर रहे हैं।Ó….और, दो दिन में ही निगम ने गली निकाल १० करोड़ का ठेका देने के लिए ई-टेण्डर जारी कर दिए, जबकि आयुक्त ने आदेश जारी कर मुख्य मार्गों का ठेका १६ जुलाई से निरस्त कर स्थायी कर्मचारियों को सफाई में लगा दिया था।

एेसे निकाली गली
मुख्य मार्गों, नालियों एवं अन्य स्थानों पर ‘आवश्यकता के अनुसारÓ सफाई कार्य के लिए बीट श्रमिक आपूर्ति का वार्षिक अनुबंध किया जाएगा। अनुमानित राशि 10 करोड़ 61 लाख रुपए आंकी गई है। इसमें ठेका फर्म के जरिये ६५० ठेका सफाई कर्मी रखे जाएंगे। निगरानी का जिम्मा पार्षदों का रहेगा। पार्षदों की अनुशंसा पर ही ठेका फर्म को भुगतान होगा। ठेका सफाई कर्मचारी लगाने के नाम पर प्रत्येक वार्ड में पार्षदों को तीन से चार लेबर सुपरवाइजर के रूप में लगाने की अघोषित छूट थी। कुछ पार्षद तो अपने बेटे-बेटियों, रिश्तेदारों के नाम सफाई लेबर के रूप में दर्ज कर भुगतान उठा रहे थे।
पहले शिकायत, अब सहमति!
निगम आयुक्त ने आदेश जारी कर मुख्य मार्गों की सफाई का ठेका १६ जुलाई को खत्म कर मैन रोड की सफाई स्थायी कर्मचारियों को सौंप दी थी। पार्षद शिकायत करते थे कि मैन रोड की सफाई लेबर का कोई हिसाब-किताब नहीं रहता।

प्रतिपक्ष- क्या जरूरत है
मैन रोड की सफाई के लिए स्थायी कर्मचारी लगा दिए हैं तो फिर क्या जरूरत है कि दस करोड़ का ठेका दिया जा रहा है। भाजपा से जुड़े ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए यह किया जा रहा है।
अनिल सुवालका,
नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम

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