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कोटा

ईपीएफओ का बड़ा फैसला, नहीं लेगा हर्जाना

ईपीएफ और एमपी अधिनियम,1952 के तहत कवर होने वाले प्रतिष्‍ठानों को लॉकडाउन के दौरान बकाया जमा कराने में हुए विलम्‍ब के लिए हर्जाना वसूली से राहत दी गई है।

कोटाMay 16, 2020 / 01:49 am

Jaggo Singh Dhaker

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कोटा. कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए सरकार की ओर से लंबे समय तक घोषित लॉकडाउन और महामारी के कारण उत्‍पन्‍न व्यवधानों के कारण ईपीएफ और एमपी अधिनियम, 1952 के तहत कवर होने वाले प्रतिष्‍ठान कष्‍ट में हैं। वे सामान्य रूप से कार्य करने तथा वैधानिक योगदानों का समय पर भुगतान कर पाने में असमर्थ हैं।
लॉकडाउन के दौरान किसी भी अवधि के लिए योगदान या प्रशासनिक शुल्क जमा करने में प्रतिष्ठानों के समक्ष आई कठिनाई को ध्यान में रखते हुए ईपीएफओ ने फैसला किया है कि परिचालन या आर्थिक कारणों से होने वाली देरी को दोष नहीं माना जाना चाहिए। इस तरह के विलम्‍ब के लिए दंडात्मक हर्जाना नहीं वसूला जाना चाहिए।
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ईपीएफओ के फील्ड कार्यालयों को 15 मई 2020 को जारी परिपत्र में इस आशय के निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे मामलों में दंडात्मक हर्जाना वसूली के लिए कोई कार्यवाही शुरू नहीं की जाएगी। यह कदम ईपीएफ के तहत कवर होने वाले 6.5 लाख प्रतिष्ठानों के लिए मानदंडों के अनुपालन को आसान बनाएगा। उन्हें दंडात्मक हर्जाने के कारण होने वाली देयता से बचाएगा। हाड़ौती के कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ जिले में चल रहे निजी प्रतिष्ठानों को इसका लाभ मिलेगा।

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