2017 में जब कोटा में डेंगू ने कहर बरपाया था। उस समय भाजपा शासन में रहे तत्कालीन चिकित्सा मंत्री काली चरण सर्राफ कोटा आए थे। उन्होंने मेडिकल कॉलेज सेमिनार हॉल में अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की बैठक ली थी। उस समय कोटा में इस मशीन की सख्त जरुरत महसूस की गई थी।
मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीन 2020 में खरीदी। उसके बाद लाइसेंस की प्रक्रिया के कारण मामला अटक गया। लाइसेंस की प्रक्रिया के लिए केंद्रीय औषधि नियंत्रण संगठन गाजियाबाद की टीम कोटा आई थी। उसके बाद नए अस्पताल में ब्लड बैंक की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी ली। पूरा ब्लड बैंक देखने के बाद टीम अपनी रिपोर्ट बनाकर ले गई थी। उसके बाद यह रिपोर्ट केंद्र सरकार के समक्ष रखी गई थी। उसके बाद 2020 दिसम्बर में ब्लड बैंक का आगामी पांच वर्ष का नवीनीकरण, एफेरेसिस यूनिट चालू करने, ब्लड कंपोनेंट बनाने की अनुमति लाइसेंस मिल गया। उसके बाद हाल ही में 12 फरवरी को इस मशीन की शुरुआत की गई।
नए अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीन की सुविधा शुरू कर दी है। यह मशीन रक्त में शामिल तत्वों को अलग कर देती है। मशीन के लगने से ब्लड ट्रंासफ्यूजन के क्रम में होने वाली रीएक्शन की आशंका कम हो जाती है। इससे मरीजों को परेशानी नहीं होगी। उन्हें एक ही छत के नीचे सारी सुविधाएं मिलेगी।
डॉ. हरगोविंद मीणा, विभागाध्यक्ष, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन, कोटा मेडिकल कॉलेज
डॉ. सीएस सुशील, अधीक्षक, नए अस्पताल