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नए अस्पताल में शुरू हुई ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीन

locationकोटाPublished: Mar 08, 2021 12:48:30 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

नए अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीन की सुविधा मिलना शुरू हो गई है। इससे अब एक ही छत के नीचे आरडीपी, एफएफपी, पीसीवी की सुविधा मिलना शुरु हो गई है। इससे किडनी, लीवर, डायलिसिस से पीडि़त मरीजों को राहत मिलेगी।
 
 

नए अस्पताल में शुरू हुई ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीन

नए अस्पताल में शुरू हुई ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीन

कोटा. नए अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीन की सुविधा मिलना शुरू हो गई है। इससे अब एक ही छत के नीचे आरडीपी, एफएफपी, पीसीवी की सुविधा मिलना शुरु हो गई है। इससे किडनी, लीवर, डायलिसिस से पीडि़त मरीजों को राहत मिलेगी। इन सभी सुविधाओं के शुरू होने से मरीजों को 11 किमी दूर एमबीएस अस्पताल के चक्कर नहीं काटना पड़ेगा।
यह सुविधा वर्तमान में एमबीएस अस्पताल के ब्लड बैंक में ही चल रही है। ऐसे में यह मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होगा। नए अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए सुविधा नि:शुल्क रहेगी। जबकि प्राइवेट अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए कुछ शुल्क तय किया गया है। हालांकि किट के अभाव में एसडीपी की सुविधा फिलहाल चालू नहीं हो सकी है, लेकिन उसकी खरीद की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उसके बाद यह सुविधा भी शुरू हो जाएगी। इससे डेंगू के मरीजों को भी फायदा होगा।
2017 में तत्कालीन चिकित्सा मंत्री ने दिए थे आदेश
2017 में जब कोटा में डेंगू ने कहर बरपाया था। उस समय भाजपा शासन में रहे तत्कालीन चिकित्सा मंत्री काली चरण सर्राफ कोटा आए थे। उन्होंने मेडिकल कॉलेज सेमिनार हॉल में अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की बैठक ली थी। उस समय कोटा में इस मशीन की सख्त जरुरत महसूस की गई थी।
2020 में खरीदी मशीन…
मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीन 2020 में खरीदी। उसके बाद लाइसेंस की प्रक्रिया के कारण मामला अटक गया। लाइसेंस की प्रक्रिया के लिए केंद्रीय औषधि नियंत्रण संगठन गाजियाबाद की टीम कोटा आई थी। उसके बाद नए अस्पताल में ब्लड बैंक की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी ली। पूरा ब्लड बैंक देखने के बाद टीम अपनी रिपोर्ट बनाकर ले गई थी। उसके बाद यह रिपोर्ट केंद्र सरकार के समक्ष रखी गई थी। उसके बाद 2020 दिसम्बर में ब्लड बैंक का आगामी पांच वर्ष का नवीनीकरण, एफेरेसिस यूनिट चालू करने, ब्लड कंपोनेंट बनाने की अनुमति लाइसेंस मिल गया। उसके बाद हाल ही में 12 फरवरी को इस मशीन की शुरुआत की गई।
मशीन कैसे करेगी काम…

ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विशेषज्ञों के अनुसार, यह मशीन खून में शामिल तत्वों को अलग कर देती है। मशीन के लगने से एक ही ब्लड को चार तरह से लिया जा सकेगा। रेंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी), सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी), फ्रेस फ्र ोजन प्लाज्मा (एफएफपी), पैक्ड सेल वोल्यूम (पीसीवी) मिल सकेगी। मशीन के लगने से ब्लड ट्रंासफ्यूजन के क्रम में होने वाली रीएक्शन की आशंका कम हो जाती है।
इनका यह कहना
नए अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीन की सुविधा शुरू कर दी है। यह मशीन रक्त में शामिल तत्वों को अलग कर देती है। मशीन के लगने से ब्लड ट्रंासफ्यूजन के क्रम में होने वाली रीएक्शन की आशंका कम हो जाती है। इससे मरीजों को परेशानी नहीं होगी। उन्हें एक ही छत के नीचे सारी सुविधाएं मिलेगी।
डॉ. हरगोविंद मीणा, विभागाध्यक्ष, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन, कोटा मेडिकल कॉलेज
नए अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीन की सुविधा शुरू कर दी है। इससे डेंगू, किडनी, लीवर, डायलिसिस से पीडि़त मरीजों को राहत मिलेगी। एसडीपी के लिए किट खरीदने के आदेश दे दिए है। उनके आने के बाद यह सुविधा भी शुरू हो जाएगी।
डॉ. सीएस सुशील, अधीक्षक, नए अस्पताल
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