50 हजार दे और मजे से कर बजरी का अवैध परिवहन, 25 हजार की रिश्वत लेता सीआई रंगे हाथ गिरफ्तार
गर्मी की भयावहता को देखते हुए जिला परिषद की साधारण सभा और आयोजना समिति की बैठक में ग्रामीण इलाकों में पर्याप्त जलापूर्ति करने के लिए हैंडपंप लगाने सहित करीब 50 लाख के 25 कार्यों स्वीकृत किए गए। जिला परिषद की तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ने फरवरी 2019 में काम कराने के लिए प्रशासनिक स्वीकृति भी जारी कर दी, लेकिन छह महीने बीत जाने के बाद भी वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं हो सकी। नतीजतन, गर्मियां तो गुजर गईं, लेकिन गांवों में न तो नाली खरंजे हुए और न ही हैंडपंप लग सके।
जिन्दगी की पाठशाला : कुदरत ने रोशनी छीनी, जब्जे से निकाली उजली राह
वित्तीय मंजूरी का इंतजार
जिला परिषद की साधारण सभा की तीन अक्टूबर को बैठक बुलाई गई। बैठक में गांवों के विकास के लिए स्कूल की छतों की मरम्मत, खरंजे, नाली, शौचालय और हैंडपंप लगाने जैसे 125 विकास कार्य स्वीकृति किए गए। करीब 1.85 करोड़ के इन कामों को जिला परिषद की कार्यकारी सीईओ प्रतिभा देवठिया ने 10 अक्टूबर को प्रशासनिक स्वीकृति जारी कर दी, लेकिन मामला वित्तीय स्वीकृति पर जाकर टिक गया।
काम के बदले चढ़ावा
पंचायत चुनाव सिर पर देख सरपंच, जिला परिषद सदस्य और प्रधान अपने अपने क्षेत्रों में प्रस्तावित विकास कार्यों को जल्द से जल्द पूरा कराने की कोशिश में जुटे थे। कुछ जनप्रतिनिधियों ने तो अफसरों पर दबाव बना अपने काम करा लिए, लेकिन अधिकांश को सिर्फ वित्तीय स्वीकृति और कार्यादेश जारी कराने के लिए ही 10 फीसदी रिश्वत देनी पड़ रही थी। चौंकाने वाली बात यह है कि इसके बाद विकास कार्यों की गुणवत्ता का इम्तिहान पास कराने से लेकर बिल का भुगतान हासिल करने तक अलग से चढ़ावा चढ़ाना पड़ रहा था।
जज्बा: शादी के बाद बेटी की विदाई छोड़ पोस्टमार्टम करने मुर्दाघर पहुंचा पिता, फिर लौटकर लाडो को किया विदा
हर कदम पर बंटवारा
एसीबी सूत्रों के मुताबिक काल्याखेड़ी के सरपंच से 25 हजार रुपए की रिश्वत लेने वाला चंद्रप्रकाश गुप्ता तो महज उस रकम को ठिकाने तक पहुंचाने का जरिया भर था।
कमलकांत के साथ जिला प्रमुख भी फरार!
एसीबी के सीआई रमेश आर्य की अगुवाई में कॉन्स्टेबल पवन कुमार और शक्ति सिंह आदि की टीम कनिष्ठ सहायक कमलकांत वैष्णव की तलाश में जुटे हैं। जबकि दूसरी टीम विकास कार्यों के लिए रिश्वत लिए जाने के मामले में जिला प्रमुख सुरेंद्र गुर्जर को तलाश उनका पक्ष और भूमिका जानने की कोशिश में जुटी है, लेकिन दोनों ट्रेप की भनक लगने के बाद से सामने नहीं आ रहे हैं। दोनों के मोबाइल तक बंद आ रहे हैं।
पत्रिका ने किया था खुलासा
राजस्थान पत्रिका ने 17 अक्टूबर को ‘प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बाद भी शुरू नहीं हो सके 50 लाख के विकास कार्यÓ खबर प्रकाशित कर ग्रामीण विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में चल रहे भ्रष्टाचार का खुलासा किया था, लेकिन जिला प्रमुख सुरेंद्र गुर्जर और जिला परिषद के अधिकारी इसके लिए एक दूसरे को जिम्मेदार बता मामले से पल्ला झाड़ते रहे।
ठाकुर चंद्रशील, एएसपी, एसीबी कोटा