कोटा

हादसे नहीं हों, इसके सुरक्षा इंतजाम किसी पुल पर नहीं

कोटा शहर में चंबल नदी पर हैंगिंग ब्रिज के अलावा चार पुल हैं

कोटाFeb 27, 2020 / 01:39 pm

Jaggo Singh Dhaker

हादसों के लिए तैयार नहीं है कोटा, न तो वाहन चालक सतर्क हैं, न ही शासन-प्रशासन।

कोटा. हाड़ौती में कई नदियां हैं और उन पर बने पुल से रोजाना हजारों वाहन गुजरते हैं। हादसे नहीं हों, इसके सुरक्षा इंतजाम किसी पुल पर नहीं हैं। कोटा जिले के पुल हादसे का इंतजार कर रहे हैं। मेज नदी में बस गिरने के बाद पत्रिका टीम ने पुलों पर जाकर देखा तो पाया कि हादसे के खतरे को लेकर न तो वाहन चालक सतर्क हैं, न ही शासन-प्रशासन।
वाहनों की रफ्तार को नियंत्रित करने की कोई निगरानी व्यवस्था पुलों पर नहीं दिखी। कोटा शहर में चंबल नदी पर हैंगिंग ब्रिज के अलावा चार पुल हैं। सावधानी नहीं बरतने की स्थिति में चारों पुलों पर कब हादसा हो जाए, यह कहा नहीं जा सकता। वह इसलिए कि इनसे गुजरने वाले वाहनों की गति पर नियंत्रण नहीं है। पुलों पर आवारा मवेशी भी पसरे रहते हैं, इस कारण हादसे का अंदेशा बना रहता है।
जर्जर है कोटा बैराज की सुरक्षा दीवार

वर्षों पुराने कोटा बैराज पुल की सुरक्षा दीवार क्षतिग्रस्त है। पत्रिका टीम ने वहां देखा तो वाहन तेज गति से गुजर रहे थे। कोटा बैराज की सुरक्षा का मुद्दा बाढ़ के समय भी उठा था, लेकिन चार माह बाद भी इस पर जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया।

नहरों के किनारे भी हो सकते हैं हादसे
कोटा शहर में बोरखेड़ा, स्टेशन, नांता डीसीएम क्षेत्र से नहरों की वितरिकाएं गुजर रही हैं। इनके किनारे कृषि भूमि पर कॉलोनियां बस गई हैं, लेकिन वितरिका के किनारे सड़कें बहुत संकरी हैं। इसके अलावा सुरक्षा दीवार बनी हुई नहीं है। ऐसे में तेज रफ्तार से चलने वाले नहर या वितरिका में गिर सकते हैं। पत्रिका टीम ने बोरखेड़ा से रेलवे कॉलोनी की ओर जा रही वितरिका का जायजा लिया तो वहां कई जगह हादसे की आशंका दिखी। मौके पर एक टै्रक्टर-ट्रॉली नहर में गिरते-गिरते बाल बाल बचा।
ओवरलोड वाहन भी गुजरते हैं

पुलों से गुजरने वाले ओवरलोड वाहनों को रोकने की भी व्यवस्था नहीं है। करीब दस साल पहले ओवरलोड वाहनों के चलने से नयापुरा स्थित चंबल पुल की बियरिंग टूट गई थी। काफी मशक्कत के बाद पुल को दुरुस्त किया जा सका।
आपदा में कैसे बचाएंगे, छतों पर खराब पड़ी नावें
निगम में आपदा प्रबंधन जुगाड़ से चल रहा

कोटा. नगर निगम में आपदा प्रबंधन के बंदोबस्त जुगाड़ से चल रहे हैं। न पूरे संसाधन हैं, न मैनपावर। आपदा से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। स्थिति यह है कि पानी में डूबने की स्थिति से बचाने के लिए जो नावें दी गई हैं, वे खराब पड़ी हैं।
मेज नदी दुखान्तिका के बाद पत्रिका टीम ने निगम के आपदा प्रबंधन की स्थिति जानी तो हैरानी करने वाली तस्वीर सामने आई। निगम के सब्जीमंडी स्थिति कार्यालय में चार नावें दे रखी हैं। इसमें पिछले दो साल से तीन नावें खराब पड़ी हैं। इन नावों को दुरुस्त नहीं करवाया गया है। इस कारण तीन नावों को कार्यालय की छत पर रख दिया गया है।
आपदा से बचाव के लिए केवल एक नाव है, जिसके पैंदे में भी सुराख हो रखे हैं। इस कारण पानी में उतारते ही नाव में पानी भर जाता है। इस वजह से रेस्क्यू में खासी दिक्कत आती है। रेस्क्यू के लिए दमकल दी गई है, वह भी पूरी तरह खटारा हो चुकी है। स्थिति है कि इस दमकल को जगह-जगह तारों से बांध रखा है। आए दिन बीच रास्ते में खराब हो जाती है। यह दमकल धक्का मार है। चम्बल नदी व नहरों में रेस्क्यू करने के लिए मोटर इंजन में पिछले एक साल से खराब पड़ा है। जरूरत पडऩे कर्मचारी ही चंदा एकत्र कर दुरुस्त करवाते हैं। आपदा प्रबंधन के लिए कर्मचारी भी नहीं है। ठेका कर्मी लगा रखे हैं।
खराब नावों को जल्द दुरुस्त करवाया जाएगा। साथ ही, अग्निमशन व आपदा प्रबंधन के लिए शीघ्र नए संसाधन खरीदे जाएंगे।
वासुदेव मालावत, प्राधिकारी नगर निगम

इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो यह सुनिश्चित किया जाएगा। पुलिया क्षतिग्रस्त होने के कारणों की जांच कर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ऐसे स्थानों को चिन्हित कर दुरुस्त कराया जाएगा।
प्रताप सिंह खाचरियावास, परिवहन मंत्री
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