यह भी पढ़ें
#sehatsudharosarkar: गली-गली मौत बांट रहे झोलाछाप, आंखें मूंद बैठा चिकित्सा विभाग
स्लैब पर संशय, अफसर भी स्पष्ट नहीं कर पा रहे इसी शंका के समाधान को लेकर कोटा स्टोन स्माल स्केल इण्डस्ट्रीज एसो. के पदाधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल केन्द्रीय उत्पाद एवं सेवा शुल्क विभाग के उपायुक्त नरेश बुंदेल से मिला। उन्होंने टैक्स स्लेब स्पष्ट करने का अनुरोध किया, लेकिन वे संशोधित नोटिफिकेशन हाथ में आने के बाद ही कुछ कहने की स्थिति में नजर आए। इस बारे में वाणिज्यिक कर विभाग के उपायुक्त से जानकारी लेनी चाही तो वे भी संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाए। केएसएसएसआईए के अध्यक्ष जगदीश शक्तावत, उपाध्यक्ष दिनेश डपकरा, सचिव अखलेश मेड़तवाल ने बुंदेला को 26 दिसम्बर 1990 का सर्कुलर दिखाया। जिसमें स्पष्ट था कि कोटा स्टोन रफ व पॉलिश एक श्रेणी में है। व्यापारियों का कहना था कि वैट में भी कोटा स्टोन पॉलिश व रफ को एक ही कर की श्रेणी में रखा गया था, लेकिन जीएसटी में इसकी श्रेणी स्पष्ट नहीं। यह भी पढ़ें
कोटा में होगी 35 करोड़ की आतिशबाजी, बच्चों को भा रहा पोप-पोप, युवाओं को रावण बम
नहीं कर पा रहे कारोबार व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी में जो एचएसएन कोड है उसमें 6802 कोड में 28 प्रतिशत टाइल्स को माना गया है। एचएसएन कोड 2515 व 2516 में इसी पत्थर को 5 प्रतिशत कर श्रेणी में रखा है। वर्तमान में कोटा स्टोन की कर श्रेणी का सीधा जिक्र नहीं होने के कारण व्यापारी 5 प्रतिशत कर श्रेणी में बिल काट रहे हैं। कुछ व्यापारी 18 प्रतिशत में बिल बना रहे हैं। जो खुलकर व्यापार नहीं कर पा रहे हैं। 750 कोटा स्टोन की खदानें, 5000 औद्योगिक इकाइयां, 150000 लोगों को मिल रहा है प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार , 1000 करोड़ का सालाना कारोबार, 100 करोड़ के कोटा स्टोन का निर्यात यह भी पढ़ें