कोटा ब्रांच की चैयरमेन नीतू खण्डेलवाल ने बताया कि कोटा ब्रांच से विद्यार्थी बूंदी निवासी अर्पित माहेश्वरी एआईआर-41 रैंक, कोटा की हिमांशी चौरसिया एआईआर-47 रैंक, श्रृति श्रृंगी-50 वीं रैंक आई है। कोटा में पहली बार टॉप 100 में एक साथ तीन छात्र-छात्राओं के जगह बनाने से कामयाब हासिल हो सके। इन विद्यार्थियों ने पहले चांस में यह सफलता प्राप्त की है। इससे एक बार फिर सीए संस्थानों में खुशियों का माहौल देखने को मिला है। सीए फाइनल की परीक्षा जून में हुई थी।
पिछले साल भी जमाई थी धाक
सीए में पिछले साल भी कोटा ने अपनी धाक जमाई थी। रेजोनेंस कोचिंग संस्थान के छात्र शादाब हुसैन ने ऑल इंडिया टॉप 1-रैंक प्राप्त की थी। उसके बाद से ही कोटा में सीए की तरफ विद्यार्थियों का रूझान ज्यादा बढ़ गया है।
– पापा की इच्छा थी कि सीए बनूं
एआईआर-41 रैंक प्राप्त अर्पित माहेश्वरी ने कहा कि सकारात्मक व आध्यात्मिक सोच के साथ पढ़ाई तो सफलता जरूर मिलती है। पढ़ाई को लेकर कभी तनाव नहीं लें। पिता रामचरण व मां अनिता दोनों बूंदी में सरकारी शिक्षक है। पापा की इच्छा थी कि मैं सीए बनूं और मैंने सीए को चुना और लगातार रोजाना 12 घंटे पढ़ाई कर सफलता पाई। उसके 800 में से 527 अंक प्राप्त हुए है।
लगातार मेहनत से मिलती सफलता
ऑल इंडिया 50वीं रैंक प्राप्त श्रृति श्रृंगी ने कहा कि लगातार मेहनत करने से सफलता जरूर मिलती है। इसके लिए हमें मेहनत करते रहना चाहिए। घर पर माता-पिता का शुरू से ही पढ़ाई को लेकर सहयोग मिला है। उनका कॉमर्स में सीए की तरफ रूझान रहा। इस कारण उन्होंने सीए को चुना। यह पसंदीदा विषय है। उनके पिता संजय कुमार श्रृंगी सुल्तानपुर ब्लॉक में शिक्षक है। उनकी मां अलका श्रृंगी गृहिणी है। उसके 518 अंक आए है।
कुछ अलग कर दिखाने की चाह एआईआर-47 रैंक प्राप्त हिमांशी चौरसिया ने बताया कि परिवार में सभी सदस्य इंजीनियर है। यहां तक की मेरा भाई भी इंजीनियर है। इनसे कुछ अलग हटकर दिखाने की चाह के कारण मैंने सीए को चुना। हालांकि यह चुनौतिपूर्ण था, लेकिन मैंने उसे स्वीकारा। उसके बाद प्लानिंग से पढ़ाई की। सीनियर व माता-पिता ने गाइड भी किया। कई बार लगातार पढ़ाई को लेकर हिम्मत टूटती नजर आई, लेकिन सोचा कि थोड़ा समय बाकी है, निकल जाएगा। पांच माह तक तो लगातार 14 घंटे तक पढ़ाई की। उसके पिता की रामबाबू चौरसिया रेलवे में जॉब है। मां गायत्री गहिणी है। उसके 521 अंक आए है।