उप नारकोटिक्स आयुक्त विकास जोशी ने बताया कि सामान्यत अल्प्राजोलम डिप्रेशन के शिकार मरीजों के उपचार में प्रयुक्त होता है। लेकिन नशे के अवैध बाजार में इसका दुरुपयोग अब स्मैक, ब्राउनशुगर एवं हेरोइन के सस्ते विकल्पके रूप में किया जाने लगा है। उन्होंने बताया कि बरामद किए गए अल्प्राजोलम से 0.5 मिलीग्राम की करीब 40 लाख गोलियां बनाई जा सकती थी। जिसकी दवा बाजार में कीमत करीब 85 लाख रुपए होती है।