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ऐसी बेकद्री, पर्यटक कैसे पधारेंगे आपणे शहर

locationकोटाPublished: Dec 01, 2020 10:19:27 am

Submitted by:

Jaggo Singh Dhaker

नगर निगम की ओर से गार्डन की लगातार अनदेखी की जा रही है। इसलिए गार्डन अपना मूल स्वरूप खोता जा रहा है। इसमें हर साल रख रखाव के नाम पर लाखों रुपए खर्च होते हैं, लेकिन हकीकत में यहां की खूबसूरती निगम से नहीं संभल रही है।

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चंबल गार्डन खो रहा अपना स्वरूप

कोटा. शहर में नए पर्यटक स्थल विकसित करने का कार्य जोरों से चल रहा है। करोड़ों की लागत से रिवरफ्रंट बनाया जा रहा है, लेकिन कोटा को पहचान दिलाने वाले पुराने पर्यटक स्थलों की सार संभाल नहीं की जा रही है। नगर निगम की ओर से गार्डन की लगातार अनदेखी की जा रही है। इसलिए गार्डन अपना मूल स्वरूप खोता जा रहा है। इस उद्यान में हर साल नवीनीकरण और रख रखाव के नाम पर लाखों रुपए खर्च होते हैं, लेकिन हकीकत में यहां की खूबसूरती निगम से नहीं संभल रही है। म्यूजिकल फाउंटेन पिछले कई सालों से खराब हैं। वहीं पीने के पानी के नल नदारद हैं। क्षतिग्रस्त झूले बेकद्री की कहानी बयां कर रहे हैं। यहां लगी लाइटें या तो क्षतिग्रस्त है या उसमें पक्षियों ने अपने आशियाने बना लिए हैं। फिरोजपुर से कोटा आए शिवेन्द्र ने बताया कि चंबल गार्डन के बारे में बहुत कुछ सुना, लेकिन यहां की स्थिति देखकर निराशा हुई। यहां के प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
सुधार करेंगे: महापौर
कोटा दक्षिण नगर निगम के महापौ राजीव अग्रवाल ने कहा, शहर के पर्यटन और पुराने प्रसिद्ध स्थल, उद्यान और परकोटे के सौंदर्यीय को बनाए रखने की पहल सरकार की आेर से शुरू हो गई है। नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल की पहल पर शहर के सभी पुराने एेतिहासिक दरवाजों का स्वरूप निखारा जा रहा है। धीरे-धीरे सभी कार्य होंगे। चंबल गार्ड का स्वरूप बनाए रखने के पर भी निगम पूरा ध्यान देगा।
इनका भी रख रखाव की जरूरत
छत्रविलास उद्यान, गांधी उद्यान, यातायात पार्क, भीतरिया कुंड पार्क, गणेश उद्यान आदि कई पार्क कोटा की पहचान हैं। इनके रख रखाव पर भी पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
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