नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने बचपन बचाओ आंदोलन के तहत वर्ष 2012 में सुप्रीम कोर्ट में बच्चों की देखभाल और संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए जनहित याचिका दाखिल की थी। जिस पर निर्णय सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई 2013 को 18 साल से कम आयु के बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी पुलिस थानों में एक उपनिरीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारी को बतौर बाल कल्याण अधिकारी नियुक्त करने के आदेश दिए थे। इसके साथ ही सरकारों को किशोर न्याय अधिनियम को और भी सख्त करने को भी कहा था।
करना था यह काम
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर पुलिस का व्यवहार बच्चों के अनुकूल बनाने के लिए पुलिस मित्र थाने बनाने और बाल डेस्क खोलने के साथ ही बाल कल्याण अधिकारी के साथ एक महिला एवं एक पुरुष सहयोगी और एक बाल मनोवैज्ञानिक नियुक्त करने के भी निर्देश दिए थे, लेकिन इन सबकी बात तो छोडि़ए कोटा पुलिस बाल कल्याण अधिकारियों तक की तैनाती सुनिश्चित नहीं कर पाई है।
राजस्थान पुलिस मुख्यालय के मुताबित कोटा के 18 थानों में से सिर्फ अनन्तपुरा, दादाबाड़ी, कुन्हाड़ी, नयापुरा, रेलवे कॉलोनी और उद्योग नगर थाने में ही बाल कल्या अधिकारी तैनात हैं। बाकी 12 थानों गुमानपुरा, किशोरपुरा, भीमगंजमंडी, कैथूनीपोल, मकबरा, कोतवाली, महावीर नगर, विज्ञान नगर, महिला थाना, जवाहर नगर, बोरखेड़ा और आरकेपुरम थाने में यह जिम्मेदारी कौन निभा रहा है इसकी जानकारी खुद मुख्यालय तक को नहीं है। जबकि इनमें से चार थाने तो ऐसे हैं जिनमें देश भर के करीब डेढ़ लाख बच्चे पूरे साल परिजनों के बिना रहते हैं।
हाईकोर्ट ने लगाई थी फटकार
मई 2018 में इमानुअल अनाथालय से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कोटा पुलिस की फटकार लगाते हुए कहा था कि जेजे एक्ट की पालना कराने के लिए मौजूदा समय में बाल कल्याण अधिकारी की तैनाती और विशेष किशोर पुलिस इकाई बनाने की बेहद जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा था कि यदि इनका गठन नहीं हुआ है तो सामान्य पुलिस से निरीक्षण में सहयोग नहीं लिया जा सकता। स्थानीय पुलिस के पास ये इकाई नहीं है तो वह निरीक्षण नहीं कर सकती।
आयोग ने दिए निर्देश
राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि पुलिस को सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की पालना करते हुए सभी थानों में बाल कल्याण अधिकारी की तैनाती सुनिश्चित करनी ही होगी। इतना ही नहीं बाल डेस्क स्थापित कर शिकायत एवं समाधान रजिस्टर भी रखना होगा। कोटा में इन आदेशों की अवहेलना हो रही है तो इसकी जांच करवा कर कार्रवाई करेंगे।