scriptपहले जैसी नहीं सुहाती इंजन की सिटी | City of engine not as good as before | Patrika News

पहले जैसी नहीं सुहाती इंजन की सिटी

locationकोटाPublished: Aug 08, 2020 11:18:47 am

Submitted by:

Jaggo Singh Dhaker

कोटा जंक्शन पर दिनभर पसरा रहता है सन्नाटा। चुनिंदा ट्रेनों में अति आवश्यक कार्य वाले लोग की सफर कर रहे हैं। इससे रेलवे को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है।

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रेल यात्रियों की न्यूनतम संख्या के कारण हजारों परिवार आर्थिक संकट में आए

कोटा. पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा जंक्शन से स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है, लेकिन कई ट्रेनों को अभी भी पर्याप्त यात्रीभार नहीं मिल रहा। आने-जाने वाले यात्रियों को मिलाकर रोज करीब ४० हजार यात्रियों का जंक्शन पर आना होता था। इससे सैकड़ों ऑटो चालकों को रोजगार मिलता, लेकिन अब ऑटो चालकों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। वहीं कोटा जंक्शन के प्लेटफार्म पर सन्नाटा पसरा रहता है। इस कारण खानपान की स्टॉल संचालक भी संकट में हेंैं। चुनिंदा ट्रेनों के आने पर ही यात्री स्टेशन पर दिखाई देते हैं।
सालों से ऑटो चला रहे पप्पू ने बताया कि पहले रेलगाड़ी के इंजन की सिटी सुनकर हम तैयार हो जाते थे कि ट्रेन आ गई, चलो सवारी मिलेगी। अब इंजन की सिटी सुनकर पहले जैसा उत्साह नहीं रहता। कोटा से निजामुद्दीन के बीच चलने वाली जनशताब्दी एक्सप्रेस में २२४० यात्री सफर कर सकते हैं, लेकिन अब रोज औसत ५०० यात्री ही सफर कर रहे हैं। रक्षाबंधन के कारण इस चालू सप्ताह में यात्रीभार में थोड़ा इजाफा हुआ था। ट्रेन में सफर करने वाले कई यात्रियों के कोरोना पॉजिटिव निकलने के बाद लंबे समय से जंक्शन पर ही संदिग्ध यात्रियों की कोविड जांच की जा रही है। कोटा के अलावा मंडल के अन्य स्टेशनों का भी यही हाल है।
रेल यात्रियों की न्यूनतम संख्या के कारण हजारों परिवार आर्थिक संकट में आ गए हैं। रेल प्रशासन को भी निकट भविष्य में यात्रीभार बढऩे की उम्मीद नहीं है, इसलिए माल परिवहन से आय बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अजयकुमार पाल ने बताया कि सड़क मार्ग के माल परिवहन को रेलवे की ओर आकर्षित करने लिए रेलवे ने वाणिज्य नीति में बदलाव किए हैं।
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