‘जल‘ राज्य का विषय, केंद्र का हस्तक्षेप अनैतिक मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान के अनुसार जल राज्य का विषय है, केंद्र की ओर से रोड़े अटकाना अनैतिक है। इस परियोजना की डीपीआर मध्यप्रदेश-राजस्थान अंतरराज्यीय स्टेट कंट्रोल बोर्ड की वर्ष 2005 में आयोजित बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार तैयार की गई है। इसके अनुसार ‘राज्य किसी परियोजना के लिए अपने राज्य के कैचमेंट से प्राप्त पानी एवं दूसरे राज्य के कैचमेंट से प्राप्त पानी का 10 प्रतिशत प्रयोग इस शर्त के साथ कर सकते हैं, यदि परियोजना में आने वाले बांध और बैराजों का डूब क्षेत्र दूसरे राज्य की सीमा में नहीं आता हो तो ऐसे मामलों में अन्य राज्य की सहमति आवश्यक नहीं है।
मध्यप्रदेश की आपत्ति ‘निराधार’ गहलोत ने कहा कि विगत वर्षों में मध्यप्रदेश द्वारा पार्वती नदी की सहायक नदी नेवज पर मोहनपुरा बांध एवं कालीसिंध नदी पर कुंडालिया बांध निर्मित किए गए, जिनसे मध्यप्रदेश में लगभग 2.65 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र विकसित हुआ है। इनकी अनापत्ति मध्यप्रदेश द्वारा बांधों के निर्माण के पश्चात वर्ष 2017 में ली गई थी। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश द्वारा ई.आर.सी.पी. पर ऑब्जेक्शन निराधार है। मध्यप्रदेश ने वर्ष 2005 की बैठक के निर्णय के अनुसार ही अपनी परियोजना बना ली और जब राजस्थान की बारी आई तो रोडे़ अटकाने का काम किया। इसकी डीपीआर अंतरराज्यीय स्टेट कंट्रोल बोर्ड की बैठक के निर्णयों तथा केन्द्रीय जल आयोग की वर्ष 2010 की गाइडलाइन के अनुसार तैयार की गई है।