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कोचिंग स्टूडेंट्स को बस एटीएम समझते हैं ये लोग…

locationकोटाPublished: Dec 08, 2017 02:05:34 pm

Submitted by:

Deepak Sharma

हॉस्टल में खुदकुशी का मामला, हॉस्टल में आधी अधूरी सुविधाओं के वसूलते हैं मनमाने रुपए, संचालक नहीं देखते कोचिंग स्टूडेंट्स की सुविधा

Coaching Student Just like ATM for Hostel Owner

Coaching Student Just like ATM for Hostel Owner

कोटा . कोचिंग नगरी कोटा शहर में करीब डेढ़ लाख से अधिक बच्चों को उनके माता-पिता ने हॉस्टल्स में जिन संचालकों व वार्डनों के भरोसे छोड़ रखा है, वे अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़कर केवल उन्हें एटीएम समझते हैं, जो हर माह की निर्धारित तिथि को उन्हें रुपए दे जाते हैं। हॉस्टल में एक कमरे का किराया और मैस खर्च का 8500 रुपए वसूला जाता है। संचालक को छात्रों से हर महीने किराया वसूलना तो याद रहता है लेकिन केयर का नहीं। इसकी एवज में अधिकांश हॉस्टल संचालक छात्रों को रहने और खाने की औसत से कम सुविधा देते हैं। हाल ही में राजीव गांधी नगर स्थित हॉस्टल में कोचिंग छात्र की खुदकुशी का मामला सामने आने पर यह बात पुख्ता हो गई है। छात्र का शव तीन दिन तक कमरे में बंद सड़ता रहा, लेकिन हॉस्टल में किसी को छात्र के नहीं दिखने या लापता होने पर परेशानी नहीं हुई।

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लखनऊ के अब्दुल्ला अजीज ने लगाया था फंदा
राजीव गांधी नगर स्थित हॉस्टल मोहिनी रेजीडेंसी में लखनऊ के अब्दुल्ला अजीज ने फंदा लगा लिया था। बुधवार रात दुर्गन्ध की सूचना पर पुलिस पहुंची और दरवाजा तोड़कर शव निकाला।
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खाना न मैस पर किसी को चिंता, न केयरटेकर को होश
हॉस्टल संचालक परिजनों को अपडेट रखने, बच्चे की आवाजाही से अवगत कराने, कोचिंग संस्थान अनुपस्थिति से अवगत कराने का दावा तो करते हैं लेकिन, इन सब व्यवस्थाओं का कड़वा सच इस मौत ने उगल दिया। अजीज 7 महीने से मोहनी रेजीडेंसी के कमरा नम्बर 106 में रहकर तैयारी कर रहा था। तीन दिन तक सुबह शाम खाना न खाने पर न तो मैस वाले ने हॉस्टल संचालक को बताया और न ही तीन दिन तक उसके आने जाने पर नजर रखी गई।
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कमरा इतना छोटा कि‍ पलंग से बचो तो टेबल से टकरा जाओ
अजीज जिस कमरे में रहता था उसकी हालत देखने से लगता है कि वहां बच्चों के लिए सांस लेने तक की जगह नहीं। बामुश्किल 8 गुणा 8 साइज के इस कमरे में पूरी तरह से वातानुकूलित होने से कहीं भी वेंटीलेशन नहीं। न हवा आने की जगह, न ही रोशनी की। कमरा नहीं खुलने पर पुलिस को दूसरे कमरे की खिड़की से कांच तोड़कर देखना पड़ा।

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गाइडलाइन भी फॉलो नहीं करते
कोचिंग़ संस्थान और हॉस्टल्स के लिए बनी गाइडलाइन की भी पालना नहीं हो रही है। न तो हॉस्टल्स में वार्डन, सुरक्षा के इंतजाम है और न ही सीसीटीवी कैमरे और काउंसलर।

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