यह बोले विद्यार्थी ठसाठस रहती है निजी बसें- उत्तरप्रदेश निवासी छात्र प्रवीण पांडे ने बताया कि जब पहली बार वाया जयपुर से कोटा आया था तो उसे रोडवेज बस नहीं मिली। प्राइवेट बस मिली, लेकिन उसमें किराया भी अधिक था और उसकी स्थिति भी अच्छी नहीं थी। निजी बस में यात्रियों को अधिक संख्या में बिठा रखा था। इससे काफी परेशानी आई। जयपुर से कोटा के बीच वोल्वो बस होनी चाहिए, ताकि अच्छा सफर करने को मिले।
----- कोटा की साख बनी रहे- लखनऊ निवासी छात्र हर्षित ने बताया कि मैं कोटा में जेईई की तैयार कर रहा हूं। इमरजेंसी में कई बार बसों में यात्रा करनी पड़ती है, लेकिन रोडवेज बसें नहीं मिलती। ऐसे में मजबूरन निजी बसों में सफर करना पड़ता है। कोटा कोचिंग में देशभर के विद्यार्थी रहते हैं। ऐसे में सरकार की ओर से उनके लिए बेहतर बसों का प्रबंधन होना चाहिए। इससे यह संदेश नहीं जाए कि कोटा से बसें नहीं चलती हैं। अच्छी रोडवेज बसें चलने से कोटा की साख भी अच्छी बनी रहेगी।
- ---- प्राइवेट वाहन कर आना पड़ा- छत्तीसगढ़ निवासी छात्र सृजन पानीकर ने बताया कि मैं कोटा में कोचिंग लेने के लिए आ रहा था। मेरी ट्रेन रिजर्व थी, लेकिन एनवक्त पर निरस्त हो गई। पूरे एक सप्ताह के लिए निरस्त रही। छत्तीसगढ़ से राजस्थान आना था, लेकिन रोडवेज बसें नहीं थी। ऐसे में अधिक किराया देकर प्राइवेट वाहन लेकर आना पड़ा। सरकार से मांग है कि बड़े शहरों से कनेक्टिविटी वाली बसों का संचालन किया जाए।
----- कई बार तलाशने पर भी नहीं मिलती बसें- छात्र अखण्ड प्रताप, विशाल समेत अन्य छात्रों ने बताया कि दीपावली के त्योहार, छठ पर्व, होली समेत अन्य पर्वों पर घरों पर जाना होता है। उस समय रेलवे में आरक्षण नहीं मिलता। लम्बी वेटिंग रहती है। निजी बसों में जगह नहीं मिलती। रोडवेज बसें नहीं हैं, ऐसे में उन्हें रेलवे का आरक्षण खत्म होने व निजी बसों में जगह का इंतजार करना पड़ता है। छात्र पूर्व व हर्ष ने बताया कि जेईई, मेडिकल व अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं के समय राजस्थान समेत अन्य राज्यों में सेंटर आते हंै। रोडवेज की लग्जरी बसें नहीं मिलती। प्राइवेट बसों में सफर करने में काफी परेशानी आती है।