कोटा

कचरे के चक्कर में कांग्रेस और भाजपा के बीच पिसा कोटा निगम प्रशासन

कांग्रेस पार्षदों ने ठेकेदारों के दबाव में कार्रवाई नहीं करने का लगाया आरोप

कोटाJan 09, 2018 / 06:34 pm

abhishek jain

कोटा.
कचरा परिवहन में चल रहे घालमेल को रोकने में नगर निगम प्रशासन नाकाम रहा है। कचरे का गड़बड़झाला बार-बार उजागर करने के बाद भी निगम प्रशासन भाजपा नेताओं के दबाव में जांच करने से कतरा रहा है। कांग्रेस पार्षदों ने कचरा परिवहन करने वाले ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड करने की मांग को लेकर सोमवार को आयुक्त डॉ. विक्रम जिंदल के चैम्बर के बाहर धरना दिया।
 

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प्रतिपक्ष नेता अनिल सुवालका व कांग्रेस पार्षदों ने दोपहर 2 से शाम 4 बजे तक आयुक्त के चैम्बर के बाहर धरना दिया। आयुक्त ने उनके चैम्बर के बाहर धरना देने पर आपत्ति जताई, लेकिन सुवालका, वरिष्ठ पार्षद दिलीप पाठक, मोनू कुमारी ने कहा कि कांग्रेस पार्षदों ने कचरा परिवहन घोटाला दो-तीन बार उजागर कर दिया, लेकिन आप जांच क्यों नहीं करवाते, किसका दबाव है, स्पष्ट करें।
 

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आरोपों का आयुक्त ने कोई जवाब नहीं दिया, पुलिस के दम पर कांग्रेस पार्षदों को यहां से हटाने की कोशिश की गई। इसे लेकर कांग्रेस पार्षदों और आयुक्त के बीच नोक-झोंक भी हुई। फिर भी कांग्रेस पार्षद नहीं माने और चैम्बर के बाहर ही धरना दिया। धरने पर सुवालका, पाठक, मोहम्मद हुसैन मोमदा, शमा मिर्जा, मोनू कुमारी के अलावा कार्यकर्ता आसिफ मिर्जा, दीपक तिवारी, नरेंद्र सुवालका, मनोहर मेघवाल आदि बैठे।
 

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न महापौर गए, न आयुक्त
सुवालका व पाठक ने कहा कि 6 मई 2017, 25 दिसंबर 2017 व 6 जनवरी 2018 को लगातार तीन बार कांग्रेस पार्षद दल ने ट्रॉलियों को कचरा परिवहन में धांधलियां करते रंगे हाथ पकड़ा, महापौर और आयुक्त ने आज तक ट्रेंचिंग ग्राउण्ड का दौरा तक नहीं किया। उन्होंने कहा कि महापौर ने ट्रेंचिंग ग्राउण्ड पर सुरक्षा गार्ड लगाने, सीवीटीवी कैमरा ठीक करवाने तथा दोषी ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन कार्रवाई के नाम पर चुप्पी साध ली। उनका आरोप है कि कचरा परिवहन के ठेकों में भाजपा नेताओं की साझेदारी है, इसलिए महापौर के इशारे पर जांच नहीं होती है।

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