शहर कांग्रेस की बैठक में उस समय हंगामे की स्थिति बन गई, जब निजामुद्दीन ने राजस्थान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष पंकज मेहता को उनके संबोधन के बीच टोक दिया। निजामुद्दीन ने मेहता से कहा कि आप ट्रेक से बाहर जा रहे हैं। इस पर कार्यकर्ता नारेबाजी करने लगे। हालांकि कुछ देर बाद मामला शांत हो गया। दरअसल, मेहता ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार में बैठे लोग ही अगर सरकार की आलोचना करेंगे तो इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण कुछ और नहीं हो सकता। यह बात निजामुद्दीन को नागवार गुजरी और उन्होंने मेहता को टोकते हुए कहा कि आप ट्रेक से बाहर जा रहे हैं, बैठक में केवल संगठन से जुड़े मुददों पर ही बात करें। इस तरह सह प्रभारी के टोकने पर कांग्रेस के दो-तीन कार्यकर्ता नाराज हो गए और नारेबाजी शुरू हो गई। कार्यकर्ताओं ने भी मेहता की बात का समर्थन किया। मेहता ने कहा कि पार्टी के मंच पर मैंने अपनी बात कही है। मैंने कहा कि अनुशासन जरूरी है, सरकार में बैठे लोग ही अगर सरकार की अलोचना करेंगे तो इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण भला और क्या हो सकता है। ऐसे लोगों पर अनुशासन का डंडा चलना जरूरी है।
शहर कांग्रेस की बैठक में उस समय हंगामे की स्थिति बन गई, जब निजामुद्दीन ने राजस्थान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष पंकज मेहता को उनके संबोधन के बीच टोक दिया। निजामुद्दीन ने मेहता से कहा कि आप ट्रेक से बाहर जा रहे हैं। इस पर कार्यकर्ता नारेबाजी करने लगे। हालांकि कुछ देर बाद मामला शांत हो गया। दरअसल, मेहता ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार में बैठे लोग ही अगर सरकार की आलोचना करेंगे तो इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण कुछ और नहीं हो सकता। यह बात निजामुद्दीन को नागवार गुजरी और उन्होंने मेहता को टोकते हुए कहा कि आप ट्रेक से बाहर जा रहे हैं, बैठक में केवल संगठन से जुड़े मुददों पर ही बात करें। इस तरह सह प्रभारी के टोकने पर कांग्रेस के दो-तीन कार्यकर्ता नाराज हो गए और नारेबाजी शुरू हो गई। कार्यकर्ताओं ने भी मेहता की बात का समर्थन किया। मेहता ने कहा कि पार्टी के मंच पर मैंने अपनी बात कही है। मैंने कहा कि अनुशासन जरूरी है, सरकार में बैठे लोग ही अगर सरकार की अलोचना करेंगे तो इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण भला और क्या हो सकता है। ऐसे लोगों पर अनुशासन का डंडा चलना जरूरी है।