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फिर चढ़ा सियासी पारा…कांग्रेस विधायक भरत सिंह बोले, ‘ कास्ट, क्रिमिनल और कैश से लड़कर जीता चुनाव

locationकोटाPublished: Feb 09, 2019 06:27:13 pm

Submitted by:

Rajesh Tripathi

सियासी सबक, छात्रसंघ कार्यालय उद्घाटन में सांगोद विधायक ने प्रतिद्वंद्वियों पर साधा निशाना
 

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फिर चढ़ा सियासी पारा…कांग्रेस विधायक भरत सिंह बोले, ‘ कास्ट, क्रिमिनल और कैश से लड़कर जीता चुनाव

कोटा. सांगोद विधायक एवं पूर्व मंत्री भरत सिंह ने कोटा विवि के छात्रसंघ कार्यालय उद्घाटन समारोह में प्रतिद्वंद्वियों पर तीखा हमला बोला। कहा कि, ‘ट्रिपल सीÓ आज की राजनीति का अभिन्न अंग बन गए हैं और इस बार मुझे विधानसभा चुनावों में इन तीनों यानि कास्ट, कैश और क्रिमिनल से मुकाबला करना पड़ा। उनकी जाति के युवा मेरे साथ नहीं होते तो में चुनाव नहीं जीत पाता।
छात्रसंघ चुनाव के छह महीने बाद शनिवार को कोटा विश्वविद्यालय में छात्रसंघ कार्यालय का उदघाटन किया गया। छात्रसंघ पदाधिकारियों के परिजनों, विधायक भरत सिंह, कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह और रजिस्ट्रार डॉ. संदीप सिंह चौहान ने कौटिल्य भवन स्थित पदाधिकारियों के कार्यालय का उदघाटन किया। इस मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि और सांगोद से कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने कहा कि छात्रसंघों को राजनीति की नर्सरी कहा जाता है। सूबे के तमाम नेता इसी की पैदावार हैं, लेकिन जब मैने क्लास रिप्रजेंटेटिव का चुनाव लड़ा तो हार गया। इसलिए मैं इस नर्सरी की उपज नहीं बन सका। मैं विशुद्ध रूप से पंचायत राज का प्रोडक्ट हूं, लेकिन वह नर्सरी अब उजड़़ चुकी है।
राजनीति में नहीं बैठता फिट

मुझे ज्यादा बोलने की आदत नहीं। इसलिए मैं आज की राजनीति में फिट नहीं बैठ पाता। असल में राजनीति की खेती में जमकर बोलने वाला आदमी ही सफल होता है। मुझ जैसा कम बोलने वाला आदमी ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाता। उन्होंने एक पूर्व मुख्यमंत्री का उदाहरण देते हुए कहा कि जब उनका गला खराब हुआ तो चिंता सताने लगी और डॉक्टर को साफ-साफ कह दिया कि भैया गला ठीक नहीं हुआ तो राजनीति खत्म हो जाएगी, क्योंकि सारा काम तो बोलने से ही चलता है।

युवाओं ने दिया साथ

भरत सिंह ने कहा कि इस विधानसभा चुनाव में मुझे कास्ट, कैश और क्रिमिनल यानि थ्री सी से मुकाबला करना पड़ा। मेरे प्रतिद्वंदि की जाति के छात्र नेताओं ने इस चुनाव में मदद नहीं की होती तो मैं नहीं जीत पाता। उन्होंने कहा कि जो लोग भीड़ के पीछे चलते हैं वह नेता नहीं है। नेता तो वह है जो अपनी विचारधारा को लेकर अकेला चल पड़े और जब लोगों को वह सही लगेगा तो उसके पीछे खुद भीड़ खड़ी हो जाएगी। हालांकि आज के राजनेता बिना भीड़ के कहीं जाने को तैयार नहीं रहते, लेकिन असलियत ठीक वाइल्ड लाइफ चैनलों में दिखाई जाने वाली डॉक्यूमेंट्री की तरह है जिसमें हिंसक पशु झुंड के पीछे चलते हैं। ऐसे हो गए हैं आज के नेता।
पंचायत से करो राजनीतिक शुरुआत
नए दौर के नेता एमएलए, एमपी और पीएम बनकर देश का विकास करना चाहते हैं, लेकिन मैं आपसे अपील करता हूं कि आप शुरुआत पंचायत से करें। क्योंकि पंजायत राज के जरिए ही राजनीति की यह नर्सरी गांव का विकास कर सकती है। बड़े नेता बनकर आप जो योजनाएं बनाएंगे उनका क्रियान्वयन पंचायत सिस्टम को समझे और उसके लिए काम किए बिना संभव नहीं। धर्म और संप्रदाय के चक्कर में पडऩे की बजाय रोज महात्मा गांधी का एक विचार पढ़ लें, क्योंकि उनके अनुभव हमें वास्तविक और सही रास्ता दिखाते हैं। हालांकि यह भी कड़वी हकीकत है कि जिस समाज और देश के लिए गांधी ने लड़ाई लड़ी उसी ने उन्हें मार भी दिया।
मांगा समस्याओं का समाधान

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह ने विधायक से मांग की कि विवि में स्थापना के बाद से ही पीने के पानी, बिजली, सीवर लाइन और कई अन्य संसाधनों की कमी है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए वह सरकार और विवि के बीच सेतु बनने का काम करें। रजिस्ट्रार डॉ. संदीप सिंह चौहान ने कहा कि छात्रसंघ पदाधिकारी न तो वैराग्य की ओर बढ़ें और ना ही सियासी सुखों में लिप्त हों। मध्यमार्गी बन सफलता हासिल करें। इस दौरान छात्रसंघ अध्यक्ष चन्द्र शेखर नागर, उपाध्यक्ष आकाश शर्मा, महासचिव दीपक सुमन, संयुक्त सचिव समीक्षा दीक्षित, कांग्रेस नेता कुशलपाल सिंह, पूर्व अध्यक्ष लोकेश गुंजल और विजय प्रताप आदि लोग मौजूद रहे।
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