गोहिल ने दावा किया कि कांग्रेस के कार्यकाल यानी 2012 में जब डील हो रही थी तब एक राफेल की कीमत करीब 526 करोड़ रुपए आ रही थी, एनडीए सरकार के समय जो डील हुई है उसके अनुसार उसी राफेल की कीमत करीब 1640 करोड़ रुपए दी जा रही है। भारत फ्र ांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद रहा है। उन्होंने कहा, यूपीए के सौदे में विमानों के भारत में एसेंबलिंग में सार्वजनिक कंपनी हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड को शामिल करने की बात थी, भारत में यही एक कंपनी है जो सैन्य विमान बनाती है, लेकिन एनडीए के सौदे में इसे बाहर कर इस काम को एक निजी कंपनी को सौंपने की बात कही गई है। किसी भरोसेमंद सरकारी कंपनी की जगह निजी कंपनी को शामिल करना कैसे उचित हो सकता है। गोहिल कहा, केन्द्र सरकार को इस मामले की जांच के लिए जेपीसी का गठन किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं हुआ तो जब कांग्रेस की सरकार बनेगी तो इस मामले की जांच रक्षा मामलों की समिति से कराएंगे।