इसी तरह जिस देश में हमने जन्म लिया है उस देश में रहने आदि के सम्बन्ध में भी हमें एक मैन्यूअल दिया गया है । जिसे हम सभी संविधान के रूप में जानते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने देष के संविधान की जानकारी अवश्य होनी चाहिए। इसी सोच के साथ 2015 से हर साल दिनांक 26 नवम्बर को संविधान दिवस मनाया जाता है।
संविधान दिवस मनाने के पीछे मुख्य आशय भी यह है कि आम आदमी की संविधान को पढऩे एवं समझने में रूचि उत्पन्न हो। देश में संवैधानिक मूल्यों का प्रचार – प्रसार किया जाए इससे देश के आम नागरिक में जागरूकता आएगी। ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया,आयरलेण्ड,रूस, जापान, जर्मनी, फ ्रांस समेत करीब साठ देशों के संविधान का अध्ययन करके हमारे संविधान को तैयार किया गया है।
जो विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है इसमें करीब करीब नब्बे हजार से ज्यादा शब्द हैं। कुल 448 अनुच्छेदों के साथ 25 भाग एवं 12 अनुसची वाले संविधान में कुल 22 भाषाओं को मान्यता दी गई।
जिस दिन आम नागरिक अपने संविधान को अपने धर्म ग्रंथ के समकक्ष रखना आरम्भ कर देगा उस दिन धर्म जाति के नाम पर जो विवाद होते है उनका निस्तारण स्वत: ही हो जाएगा। संविधान वास्तव में प्रेरणादायक दस्तावेज है। इसमें नागरिकों को अधिकार दिए गए है तो उनसे कत्र्तव्य पालन की भी आशा की गई है।
विवेक नन्दवाना एडवोकेट ने बताया की मौलिक अधिकार की जानकारी तो सभी को होती है लेकिन मूल कर्तव्य में प्रमुख तौर पर संविधान का पालन करने की संविधान स्वयं अपेक्षा करता है। हालांकि संविधान में इन कर्तव्यों के सीधे प्रवर्तन के लिए या उनके उल्लंघन के निवारण के लिए किसी अधिशास्ति का कोई उपबंध नहीं है ऐसा माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय राम शरण बनाम भारत संघ (एक आई आर1989 एससी544) में भी कहा है।