नांता निवासी मनोहरलाल मेघवाल ने रंगबाड़ी रोड स्थित भारतीय जीवन बीमा निगम के प्रबंधक, मंडल प्रबंधक और आईजी के खिलाफ 23 जनवरी 2016 को परिवाद पेश किया था। इसमें कहा कि उसका भाई फूलबिहारी कांस्टेबल था। उसने 516 रुपए प्रीमियम अदा कर 28 जनवरी 2012 को 20 साल के लिए जीवन सरल पॉलिसी करवाई थी।
पॉलिसी में भाई ने उसे नोमिनी बनाया था। प्रीमियम की राशि उसके वेतन से काटकर पुलिस विभाग हर माह बीमा कम्पनी में जमा करवाता था। फूलबिहारी का 23 मार्च 2013 को एक्सीडेंट हुआ। इसके बाद से वह कोमा में रहा। उसकी 11 नवम्बर 2013 को मौत हो गई। इस कारण वह न तो नौकरी पर जा सका न ही बीमा प्रीमियम समय पर जमा हो सकी।
इससे पॉलिसी कालातीत हो गई। भाई की मौत के बाद जब क्लेम पेश किया तो बीमा कम्पनी ने उसे खारिज कर दिया। जिला उपभोक्ता मंच अध्यक्ष इदुद्दीन व सदस्य महावीर तंवर ने सभी पक्षों को सुनने के बाद बीमा कम्पनी को आदेश दिया कि वह परिवादी को पॉलिसी के तहत मृत्युहित लाभ के 1.25 लाख व दुर्घटनाहित लाभ के 1.25 लाख कुल 2.50 लाख रुपए निर्णय की तिथि से एक माह में अदा करे।
साथ ही, मानसिक संताप के 3 हजार व परिवाद व्यय के 2 हजार भी अदा करे। मंच ने आईजी के खिलाफ परिवाद खारिज कर दिया।