पार्षदों की अनुसंशा पर ठेका सफाई कर्मचारियों का भुगतान किया जाता है। अब निगम प्रशासन द्वारा अस्थायी सफाई कर्मचारियों को चेक से भुगतान करने की शर्त जोडऩे पर ठेकेदारों और पार्षदों के पेट में दर्द हो रहा है।
वर्तमान में 1900 से अधिक अस्थायी सफाई कर्मचारी वार्डों में लगे हुए हैं। ठेकेदारों को 166 रुपए प्रतिदिन के हिसाब अस्थायी सफाई कर्मचारियों का भुगतान किया जाता है। एक माह में 26 दिन का भुगतान ठेकेदारों को किया जाता है।
निगम के रिकॉर्ड के अनुसार जनवरी 2015 से मार्च 2016 तक एक भी अस्थायी सफाई कर्मचारी अवकाश पर नहीं रहा। ठेका सफाई कर्मचारियों की हाजिरी की कोई व्यवस्था नहीं है। पार्षदों ही हाजिरी को प्रमाणित करते हैं, इस आधार पर निगम ठेकेदार को भुगतान कर देता है।
ठेकेदार ठेका सफाई कर्मचारियों की छुट्टियों का भुगतान भी उठाकर निगम को हर साल लाखों रुपए का नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसमें पार्षदों की भूमिका पर भी सवाल उठता है, कैसे भुगतान पर अनुसंशा कर देते हैं, जबकि पार्षद भी मान रहे हैं कि हर माह ठेका सफाई कर्मचारी रविवार के अवकाश के अलावा पांच से दस दिन छुट्टियों पर रहते हैं।
एेसे खुली पोल पिछले दिनों आयुक्त शिवप्रसाद एम. नकाते के निर्देश पर तीनों उपायुक्तों ने दो दर्जन वार्डों में सफाई कर्मचारियों की उपस्थिति की जांच की। इसमें पाया कि कई वार्डों में तो आधे भी ठेका सफाई कर्मचारी नहीं मिलते।
तीनों उपायुक्तों की रिपोर्ट में माना है कि ठेकेदार जितनी संख्या में वार्ड में अस्थायी सफाई कर्मचारी बता रहे हैं, इससे बहुत कम लगाए गए हैं और भुगतान पूरे कर्मचारियों के नाम पर उठा रहे हैं।
हालांकि पार्षदों ने पोल खुलने के बाद उपायुक्तों के निरीक्षण का विरोध करना शुरू कर दिया, निगम प्रशासन ने दबाव में जांच बंद कर दी। ठेका सफाई कर्मचारियों को चेक से भुगतान करने पर चर्चा चल रही है। इस बारे में राज्य सरकार के आदेश भी आ गए। इस व्यवस्था के लागू होने से वार्ड में कम सफाई कर्मचारी लगाने, अवकाश का भुगतान उठाने जैसी सभी शिकायतों का समाधान हो जाएगा।
शिवप्रसाद एम. नकाते, आयुक्त, नगर निगम जांच करवाएंगे ठेकेदारों का अस्थायी सफाई कर्मचारियों की छुट्टी पर भी उपस्थिति दर्शाकर भुगतान उठाना गंभीर विषय है। यह प्रकरण हमारी जानकारी में आ चुका है। अधिकारी भी इस गड़बड़ी को रोकने में लगे हुए हैं। पूरे मामले की जांच करवाएंगे, कैसे अवकाश का भुगतान हो रहा है, इसे दिखवाएंगे।
महेश विजय, महापौर