प्रतिदिन 800 से 900 सिलेंडर की जरुरतदो 2 माह पहले जहां 250 से 300 ऑक्सीजन सिलेंडर की प्रति दिन खपत होती थी, जो अब बढ़कर 800 से ९00 सिलेंडर प्रतिदिन जा पहुंची है। अस्पताल में ऑक्सीजन बेड की कमी है। इधर तीन निजी अस्पतालों को अधिग्रहित करने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुआ है।
55 प्रतिशत कोरोना संदिग्ध मरीज ऑक्सीजन पर वर्तमान में सुपर स्पेशयलिटी ब्लॉक व नए अस्पताल में 311 मरीज भर्ती है। इनमें कोरोना संदिग्ध मरीजों की संख्या ज्यादा है। कोरोना संदिग्ध 55 प्रतिशत व कोरोना पॉजिटिव 44 प्रतिशत है। इनमें से 231 मरीज ऑक्सीजन पर है, यानी 75 प्रतिशत मरीज ऑक्सीजन पर है।
यह आंकड़े कुछ कहते… कोविड अस्पताल में भर्ती कोरोना पॉजिटिव-138 कोरोना सन्दिग्ध-173 ऑक्सीजन पर-कुल 231 रिपोर्ट नेगेटिव, फि र भी संक्रमण अस्पताल में भर्ती मरीजों में 70 से 80 फ ीसदी केस लंग्स की खराबी के है। इसमें भी 50 प्रतिशत केस ऐसे है, जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव है, लेकिन उन्हें बाई लेटरल न्यूमोनिया है। यानी फेफ ड़ों के दोनों हिस्सों में संक्रमण है। उन्हें सांस की तकलीफ की शिकायत हो रही है। यही कारण है कि उन्हें ऑक्सीजन पर लेना पड़ रहा है।
40 फीसदी मरीजों की प्लेटलेट्स डाउन भर्ती मरीजों की जांच में सामने आया है कि कोरोना वायरस के चलते मरीजों की प्लेटलेट्स भी डाउन हो रही है। कोविड अस्पताल में भर्ती करीब 40 फ ीसदी ऐसे मरीज है, जिनकी प्लेटलेट्स डाउन हुई है। प्लेटलेट्स सामान्य से 1.5 लाख से घटकर 1 लाख या 1.2 लाख तक आ गई है। हालांकि ऐसे मरीजों को एसडीपी व आरडीपी की जरूरत नहीं पड़ रही।
हालात विकट फेफ ड़ों में संक्रमण व प्लेटलेट्स डाउन होने से मरीजों को वेंटिलेटर पर लेना पड़ रहा है। वर्तमान में 20 से 25 प्रतिशत कोरोना पॉजिटिव मरीज वेंटिलेटर पर है। जबकि 15 प्रतिशत कोरोना संदिग्ध मरीजों को लंग्स में इंफेक्शन के कारण वेंटिलेटर पर रखना पड़ रहा है। अस्पताल में हाई ऑक्सीजन फ्लो की जरूरत पड़ रही है। कई बार तो प्रेशर लो आने से वेंटिलेटर तक काम नहीं कर पा रहे।
इनका कहना मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के आचार्य डॉ. सीपी मीणा ने बताया कि पहले आमतौर पर फेफ ड़ों के एक हिस्से में न्यूमोनिया के केस देखने को मिलते थे, लेकिन वर्तमान में कोरोना संदिग्ध मरीजों के बाई लेटरल न्यूमोनिया यानी दोनों फेफड़ों में संक्रमण व प्लेटलेट्स डाउन होना चिंता की बात है। आरटीपीसीआर जांच में भले मरीज पॉजिटिव नहीं आ रहे है। उनकी रिपोर्ट नेगेटिव हो, लेकिन लंग्स में इन्फेक्शन कोविड के ही दिखाई दे रहे है। सिटी स्कैन के लक्षणों के आधार पर उपचार कर रहे है। इससे रेस्पॉस अच्छा आ रहा है। इसलिए एेसा लगता है कि कोरोना वायरस ने बदलाव किया है।