सहायक निदेशक अभियोजन अशोक कुमार जोशी ने बताया कि वर्ष 1998 में शिक्षा विभाग प्रारंभिक शिक्षा में तृतीय श्रेणी अध्यापक के पद पर जारी हुई विज्ञप्ति के क्रम में अन्य शैक्षणिक योग्यताओं के साथ-साथ एसटीसी भी योग्यता निर्धारित थी। दो अभ्यर्थी रविकांत मेहता एवं विनोद कुमार भार्गव ने 2 वर्षीय पाठ्यक्रम डिप्लोमा इन एजुकेशन का प्रशिक्षण, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान शिवपुरी मध्य प्रदेश से 1996 में किया। वर्ष 1996 में उक्त संस्थान को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद अधिनियम 1993 के अनुसार मान्यता नहीं थी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों को मान्यता के संबंध में प्रति वर्ष आदेश प्रसारित करता है। अंतिम वरीयता में सम्मिलित नहीं करने पर अभ्यर्थी रवि कांत मेहता एवं विनोद कुमार भार्गव ने सिविल न्यायालय बारां एवं अपीलीय न्यायालय बारां तथा राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिकाएं पेश की, जो खारिज हो गई। इसके बाद आरोपी जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा बारां रमेश चंद्र शर्मा एवं शिक्षा विभाग के संस्थापन वरिष्ठ लिपिक ओमप्रकाश गौतम ने भ्रष्ट आचरण करते हुए मुख्यालय से अनुमति लिए बिना, न्यायालय आदेशों का उल्लंघन कर तथा तथ्य छिपाकर, अभ्यर्थी रवि कांत मेहता एवं विनोद कुमार भार्गव को अनुचित लाभ देने के लिए 10 वर्ष बाद 30 जून 2009 को पुन: नियुक्तियां प्रदान कर राज्य सरकार को 4,37396 रुपए की सदोष हानि कारित की।
जिसके संबंध में परिवादी दुर्गाशंकर पंचोली ने एसीबी चौकी बारां के निरीक्षक दीनदयाल भार्गव को परिवाद दिया। इस पर एसीबी ने जांच की। जांच के बाद आरोपियों के विरुद्ध प्रथम दृष्टया अपराध साबित पाया गया। इस पर प्रकरण दर्ज कर एसीबी के निरीक्षक विवेक सोनी ने अनुसंधान किया। अनुसंधान के बाद न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया गया। इस पर न्यायालय ने आरोपियों को सजा से दंडित किया।
जिसके संबंध में परिवादी दुर्गाशंकर पंचोली ने एसीबी चौकी बारां के निरीक्षक दीनदयाल भार्गव को परिवाद दिया। इस पर एसीबी ने जांच की। जांच के बाद आरोपियों के विरुद्ध प्रथम दृष्टया अपराध साबित पाया गया। इस पर प्रकरण दर्ज कर एसीबी के निरीक्षक विवेक सोनी ने अनुसंधान किया। अनुसंधान के बाद न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया गया। इस पर न्यायालय ने आरोपियों को सजा से दंडित किया।