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लोकसभा चुनाव के लिए प्रशासन ने जेडीबी कॉलेज में चुनावी जाजम बिछाना शुरू किया है। आयोग 25 मार्च से चुनाव खत्म होने तक कॉलेज को पूरी तरह अधिग्रहित कर लेगा। कैम्पस के 141 कमरे और हॉल प्रशासन के अधिकार में रहेंगे।
मुश्किल में छात्राएं
कोटा विश्वविद्यालय ने संस्थागत परीक्षार्थियों के साथ ही स्वयंपाठी छात्राओं की परीक्षा के लिए जेडीबी के तीनों कॉलेजों को केंद्र बनाया है। आट्र्स कॉलेज की करीब 2000, साइंस में 700 और कामर्स में 550 छात्राओं को परीक्षा देनी है, लेकिन कॉलेज अधिग्रहित होने के बाद कैम्पस में साइंस और कामर्स की अधिकतम 150 छात्राएं ही परीक्षा दे सकेंगी। बाकी छात्राओं को निजी कॉलेजों में भटकना पड़ेगा।
कोटा विश्वविद्यालय ने संस्थागत परीक्षार्थियों के साथ ही स्वयंपाठी छात्राओं की परीक्षा के लिए जेडीबी के तीनों कॉलेजों को केंद्र बनाया है। आट्र्स कॉलेज की करीब 2000, साइंस में 700 और कामर्स में 550 छात्राओं को परीक्षा देनी है, लेकिन कॉलेज अधिग्रहित होने के बाद कैम्पस में साइंस और कामर्स की अधिकतम 150 छात्राएं ही परीक्षा दे सकेंगी। बाकी छात्राओं को निजी कॉलेजों में भटकना पड़ेगा।
काटने पड़ेंगे चक्कर
तीनों कॉलेजों में परीक्षाएं चल रही है, लेकिन बीच में ही कॉलेज अधिग्रहित की सूचना जारी कर दी गई। जिसके बाद कॉलेज प्रशासन को परीक्षा के लिए निजी कॉलेजों में जगह तलाशनी पड़ी। कॉमर्स की करीब 400 छात्राओं के लिए सरस्वती कॉलोनी स्थिति होली पब्लिक सीनियर सैकेंडरी स्कूल में इंतजाम करना पड़ा।
तीनों कॉलेजों में परीक्षाएं चल रही है, लेकिन बीच में ही कॉलेज अधिग्रहित की सूचना जारी कर दी गई। जिसके बाद कॉलेज प्रशासन को परीक्षा के लिए निजी कॉलेजों में जगह तलाशनी पड़ी। कॉमर्स की करीब 400 छात्राओं के लिए सरस्वती कॉलोनी स्थिति होली पब्लिक सीनियर सैकेंडरी स्कूल में इंतजाम करना पड़ा।
जबकि आट्र्स में संख्या ज्यादा होने के कारण दादाबाड़ी स्थिति मोदी इंस्टीट्यूट में परीक्षा केंद्र बनाया है। ऐसे में कला विषय की छात्राओं को परीक्षा के लिए पांच से छह किमी ज्यादा दूर जाना पड़ेगा। वहीं सिटिंग प्लान और परीक्षा सामग्री लाने ले जाने के लिए कॉलेज प्रशासन को भी रोजाना खासी मशक्कत करनी पड़ेगी।
पढ़ाई भी हुई मुश्किल
विधानसभा चुनावों के लिए भी जेडीबी कॉलेज को अधिग्रहित किया था। जिसके चलते करीब डेढ़ माह कॉलेज में अध्ययन-अध्यापन व्यवस्था पटरी से उतरी रही। हालांकि जैसे-तैसे एक्सट्रा क्लासेज लगाकर शिक्षकों ने कोर्स कवर करने की कोशिश की, लेकिन छात्राएं खासी प्रभावित हुईं। अब परीक्षाओं में फिर कॉलेज अधिग्रहित होने से एक ही शैक्षणिक सत्र में दूसरी बार छात्राएं मुश्किल में फंसी हैं।
विधानसभा चुनावों के लिए भी जेडीबी कॉलेज को अधिग्रहित किया था। जिसके चलते करीब डेढ़ माह कॉलेज में अध्ययन-अध्यापन व्यवस्था पटरी से उतरी रही। हालांकि जैसे-तैसे एक्सट्रा क्लासेज लगाकर शिक्षकों ने कोर्स कवर करने की कोशिश की, लेकिन छात्राएं खासी प्रभावित हुईं। अब परीक्षाओं में फिर कॉलेज अधिग्रहित होने से एक ही शैक्षणिक सत्र में दूसरी बार छात्राएं मुश्किल में फंसी हैं।
परिणाम होंगे प्रभावित
दूसरी तरफ कोटा के चारों विवि के शिक्षकों एवं कर्मचारियों की भी चुनावों में ड्यूटी लगाई है। जिसके चलते परीक्षा कार्य खासा प्रभावित हो रहा है। विश्वविद्यालयों को कक्ष निरीक्षक से लेकर पर्यवेक्षक का टोटा पड़ गया है। ऐसे में निजी विद्यालयों के स्टाफ को एग्जाम ड्यूटी में लगाकर जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है, लेकिन बड़ी परेशानी कॉपी जांचने को लेकर होगी।
दूसरी तरफ कोटा के चारों विवि के शिक्षकों एवं कर्मचारियों की भी चुनावों में ड्यूटी लगाई है। जिसके चलते परीक्षा कार्य खासा प्रभावित हो रहा है। विश्वविद्यालयों को कक्ष निरीक्षक से लेकर पर्यवेक्षक का टोटा पड़ गया है। ऐसे में निजी विद्यालयों के स्टाफ को एग्जाम ड्यूटी में लगाकर जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है, लेकिन बड़ी परेशानी कॉपी जांचने को लेकर होगी।
क्योंकि चुनावी ड्यूटी में लगे शिक्षकों के पास चुनाव खत्म होने तक इसके लिए पर्याप्त समय ही नहीं है। कोटा विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग में कार्यरत 15 कर्मचारियों की ड्यूटी लगने से पूरा काम ही प्रभावित हो गया है।
इलेक्शन में ड्यूटी लगने से परीक्षाओं के साथ कापियां जांचने का काम भी प्रभावित होगा। जैसे-तैसे स्टाफ जुटाकर परीक्षाएं कराई जा रही है। सबसे ज्यादा मुश्किलें कॉपी जांचने में आएंगी। जिसका सीधा प्रभाव परिणाम पर पड़ेगा।
प्रवीन भार्गव, परीक्षा नियंत्रक, कोटा विवि
चुनावों के लिए महाविद्यालय परिसर अधिग्रहित होने के बाद निजी कॉलेजों में परीक्षाएं करानी पड़ रही हैं। जिससे छात्राओं को पांच से छह किमी दूर जाना पड़ेगा। साथ ही परीक्षा सामग्री लाने ले जाने में और एग्जाम ड्यूटी के लिए भी शिक्षकों एवं स्टाफ की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
चुनावों के लिए महाविद्यालय परिसर अधिग्रहित होने के बाद निजी कॉलेजों में परीक्षाएं करानी पड़ रही हैं। जिससे छात्राओं को पांच से छह किमी दूर जाना पड़ेगा। साथ ही परीक्षा सामग्री लाने ले जाने में और एग्जाम ड्यूटी के लिए भी शिक्षकों एवं स्टाफ की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
डॉ. अनीता गुप्ता, प्राचार्य, राजकीय कला कन्या महाविद्यालय