कोटा. शिक्षा नगरी में शहर को ही नहीं नालों को भी स्मार्ट बनाया जाना था, लेकिन शासन-प्रशासन की अनदेखी के चलते शहर के बीच से गुजर रहे नालों पर बड़ी संख्या में गाय-भैंसों के तबेले खुल गए हैं। राजनीतिक संरक्षण इतना कि तबेला चलाने वालों को जैसे किस का डर ही नहीं है। यही वजह है कि इनके खिलाफ जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी कार्रवाई करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाते हैं।
पत्रिका टीम ने मौके पर जाकर इन नालों और उस पर बने तबेलों का जायजा लिया तो हालात कहीं ज्यादा बिगड़े नजर आए। पशुपालकों ने नालों के साथ सड़क के आधे हिस्से तक कब्जा जमा रखा है। सड़कों और नालों में रेवडिय़ां बना रखी हैं। गोबर के ढेर लगे हैं। नए कोटा के नालों के हालात ज्यादा खराब हैं। यहां कदम-कदम पर पशुपालकों ने तबेले बना लिए है।
स्थिति यह है कि नालों में कब्जा करने के बाद आसपास की ग्रीन बेल्ट को गोबर के उपले बनाने के काम में लिया जा रहा है। जब भी प्रशासन इन पशुपालकों को हटाने का प्रयास किया जाता है तो स्थानीय नेता अपनी राजनीति चमकाने लगते हैं।
शहर का हाल
शहर भर में डेयरी, निजी आवासीय व सरकारी भूमि पर करीब 1100 से ज्यादा पशुपालक है। साथ ही दुधारू व आवारा, मवेशियों की संख्या भी 14000 से ज्यादा है। पशुपालकों के खिलाफ लगातार कार्रवाई होती है। नालों में बने तबेलों पर कार्रवाई की जाएगी। वासुदेव मालावत, आयुक्त नगर निगम
शहर भर में डेयरी, निजी आवासीय व सरकारी भूमि पर करीब 1100 से ज्यादा पशुपालक है। साथ ही दुधारू व आवारा, मवेशियों की संख्या भी 14000 से ज्यादा है। पशुपालकों के खिलाफ लगातार कार्रवाई होती है। नालों में बने तबेलों पर कार्रवाई की जाएगी। वासुदेव मालावत, आयुक्त नगर निगम
तबेलों को शहर से बाहर करने के लिए देवनाराण पशु पालक योजना बनाई है। योजना पूरी होने पशुपालकों को शिफ्ट किया जाएगा।न्यास लगातार कब्जे हटाने की कार्रवाई करता है। भवानी सिंह पालावत, सचिव, यूआईटी
नया कोटा पशुपालक : 300 दुधारू पशु 1181 आवारा मवेशी 5004 पुराना कोटा पशुपालक 119 दुधारू पशु 794 आवारा मवेशी 2505 नालों में पशुपालक
नाले 40 तबेले 70