कोटा

कृषि अधिकारियों का किसानों के साथ धोखा: 7 दिन खेत जलमग्न होने का बनाया बहाना, अब बोले-नहीं हो सकता खराबे का सर्वे

Crop damage, survey , Farm submerged: अतिवृष्टि से बर्बाद हुई फसलों का सर्वे के लिए कृषि अधिकारियों ने किसानों के साथ छलावा किया है।

कोटाAug 24, 2019 / 03:29 pm

​Zuber Khan

कृषि अधिकारियों का किसानों के साथ धोखा: 7 दिन खेत जलमग्न होने का बनाया बहाना, अब बोले-नहीं हो सकता खराबे का सर्वे

कोटा. हाड़ौती में 14 से 16 अगस्त को हुई अतिवृष्टि से फसलों को भारी नुकसान हुआ। खेत के खेत बर्बाद हो गए। ( Farm submerged ) खराबे का सर्वे सात दिन में होना था, लेकिन बारिश ( Heavy Rain ) के कारण गांव-खेतों के रास्ते अवरुद्ध थे। इस कारण जिला कलक्टर के आदेश के बावजूद दो-तीन दिन बाद सर्वे का काम शुरू किया, अभी ज्यादातर क्षेत्रों में सर्वे के लिए कृषि पर्यवेक्षक गांवों में पहुंचे भी नहीं हैं कि सर्वे का काम बंद करने के आदेश जारी कर दिए गए। इससे किसान ठगा सा महसूस कर रहे हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों ने मनमाना आदेश जारी कर दिया, इससे किसानों में रोष व्याप्त है।
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कोटा जिले में 14 से 16 अगस्त तक भारी बारिश हुई थी। इससे कैथून, सांगोद, सुल्तानपुर, दीगोद, चेचट आदि क्षेत्रों में बाढ़ के हालात बन गए थे। ( Kaithoon Flood ) भूमि कटाव व पानी भरने से फसलें बर्बाद हो गई थी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ( Lok Sabha Speaker Om Birla ) ने 16 अगस्त को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र कैथून का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव से फोन पर बात कर अतिवृष्टि से खराबे का तत्काल सर्वे करवाने को कहा था।
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कैथून में जिला कलक्टर को निर्देश दिए थे। जिला कलक्टर ने कहा था कि 16 अगस्त को ही खराबे का सर्वे करवाने के आदेश जारी कर दिए गए। कृषि विभाग के अधिकारियों ने इसी आदेश को मोहरा बना लिया। कलक्टर के आदेश की तिथि से सात दिन की गणना कर 22 अगस्त को सर्वे बंद करने का आदेश जारी कर दिया।
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दफ्तरों में बैठे रहे
जिले में जल प्लावन की स्थिति होने पर जिला कलक्टर मुक्तानंद अग्रवाल और ग्रामीण पुलिस अधीक्षक राजन दुष्यंत ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रहकर बचाव कार्य का जायजा लिया था। किसानों का कहना है कि फसलों में व्यापक नुकसान होने के बावजूद कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा, उप निदेशक के.सी. गुणा, सीएडी कृषि खण्ड के संयुक्त निदेशक बलवंतसिंह व अन्य अधिकारी तो दफ्तरों में ही बैठे रहे। नुकसान का जायजा लेने तक नहीं गए।

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सात दिन हो गए, इसलिए सर्वे बंद किया
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक और उप निदेशक से फसलों के खराबे के बारे में पत्रिका संवाददाता ने 16, 17 और 18 अगस्त को जानकरी ली तो दोनों ही अधिकारियों ने कहा था कि खेतों में पानी भरा होने तथा रास्ते बंद होने से ज्यादतार जगहों पर सर्वे शुरू नहीं हो पाया।
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बीमा क्लेम के तहत बारिश होने के सात दिन तक प्रभावित किसानों को नुकसान के बारे में लिखित में कृषि विभाग के अधिकारियों को सूचना देनी होती है। अधिकारियों ने 16 अगस्त के आदेश को मानकर 22 अगस्त से किसानों से आवेदन लेना बंद कर दिया, जबकि कृषि पर्यवेक्षकों के साथ किसानों के आवेदन भरे पड़े हैं। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ. एल.एन. शर्मा ने बताया कि दीगोद के कृषि पर्यवेक्षक के पास किसानों के डेढ़ सौ फार्म शुक्रवार को पहुंचे, लेकिन वापस लौटा दिए गए।

सर्वे बंद कर दिया है

16 अगस्त को सर्वे करवाने के आदेश जारी किए थे। इसके तहस सात दिन होने पर 22 अगस्त को सर्वे बंद कर दिया है। सर्वे की अंतिम रिपोर्ट आने में दो-तीन दिन लगेंगे।
के.सी. मीणा, उप निदेशक कृषि खण्ड विस्तार कोटा

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