सांस्कृतिक कार्यक्रम में 300 कलाकारों ने एक से बढ़ कर एक प्रस्तुतियां दी। इसमें सबसे पहले धरती धोरा री..गीत से कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इसके बाद बीटी म्हारी सोना की होती..., काल्यो कूद पड्यो मेला में...,घेरदार घाघरो..., केसरिया बालम पधारो म्हारे देश.., मैं तो नाचबा ने आई, बाजूबंद भूल आई...के साथ कलाकारों ने नृत्य कर समां बांध दिया। इसके बाद ब्रज की फूलों की होली खेली गई। इसी के साथ कान्हा बंशी बजाए, राधा दौड़ी चली आए...भजन ने लोगों को भक्ति रस में गोते लगवाए।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में 300 कलाकारों ने एक से बढ़ कर एक प्रस्तुतियां दी। इसमें सबसे पहले धरती धोरा री..गीत से कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इसके बाद बीटी म्हारी सोना की होती..., काल्यो कूद पड्यो मेला में...,घेरदार घाघरो..., केसरिया बालम पधारो म्हारे देश.., मैं तो नाचबा ने आई, बाजूबंद भूल आई...के साथ कलाकारों ने नृत्य कर समां बांध दिया। इसके बाद ब्रज की फूलों की होली खेली गई। इसी के साथ कान्हा बंशी बजाए, राधा दौड़ी चली आए...भजन ने लोगों को भक्ति रस में गोते लगवाए।