शिवदत्त के चारों तरफ बंदर ऐसे बैठ जाते है जैसे वह परिवार का सदस्य हो।
डाढ़देवी माता मंदिर पर शिवदत्त बंदरों को रोटियां खिलाते है तो बंदर उनके कंधे हाथ व सिर पर बैठ जाते है।
डाढ़देवी माता मंदिर पर शिवदत्त बंदरों को रोटियां खिलाते है तो बंदर उनके कंधे हाथ व सिर पर बैठ जाते है।
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डाढ़देवी माता मंदिर पर शिवदत्त बंदरों को रोटियां खिलाते है तो बंदर उनके कंधे हाथ व सिर पर बैठ जाते है।
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डाढ़देवी माता मंदिर पर शिवदत्त बंदरों को रोटियां खिलाते है तो बंदर उनके कंधे हाथ व सिर पर बैठ जाते है।
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शिवदत्त के चारों तरफ बंदर ऐसे बैठ जाते है जैसे वह परिवार का सदस्य हो।
शिवदत्त के चारों तरफ बंदर ऐसे बैठ जाते है जैसे वह परिवार का सदस्य हो।
शिवदत्त के चारों तरफ बंदर ऐसे बैठ जाते है जैसे वह परिवार का सदस्य हो।