रामगंजमंडी में पालिकाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होने की तिथि में कुछ ही दिन शेष है। दोनों पक्षों ने प्रयास तेज कर दिए हैं। आखिर क्या
रामगंजमंडी. नगरपालिका अध्यक्ष हेमलता शर्मा के खिलाफ जिला कलक्टर को पेश अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की घोषित तिथि 23 अप्रेल जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे दोनों खेमों में पार्षदों की बाड़ाबंदी को और मजबूत किया जा रहा है। दोनों खेमों की गतिविधियां तेज हो गई है। असंतुष्ट पार्षद पालिकाध्यक्ष को हटाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं वहीं दूसरे खेमे के लोग पालिकाध्यक्ष के खिलाफ चल रहे प्रयासों को विफल करने में जुटे हैं। इस बीच समझाइश व विवाद को खत्म करने की योजना पर भी
काम हो रहा है।
जानकारी के अनुसार भाजपा देहात जिलाध्यक्ष जयवीरसिंह व नगर भाजपा अध्यक्ष नरेन्द्र काला समझाइश व हेमलता को यथावत बनाए रखने के प्रयास में जुटे हैं। विधायक चन्द्रकांता मेघवाल भी विवाद खत्म करने की कोशिश कर रही हैं। पिछले माह भाजपा के असंतुष्ट पार्षदों ने पालिकाध्यक्ष के खिलाफ मुहिम चलाकर जिला कलक्टर को अविश्वास प्रस्ताव सौंपा था। इस प्रस्ताव पर 23 पार्षदों के हस्ताक्षर का दावा है। हस्ताक्षर करने वालों में भाजपा के अलावा अन्य पार्षद भी शामिल हैं। इस अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा व आवश्यक होने पर मतदान के लिए जिला कलक्टर ने 23 अप्रेल की तिथि तय की है। मतदान की तिथि नजदीक आते देख दोनों पक्षों में शह और मात के खेल में पार्षदों की बाड़ाबंदी का कार्य पूरा हो चुका है। पालिका बोर्ड में 30 निर्वाचित पार्षद हैं। इनमें से 20 से ज्यादा सदस्य दोनों पक्षों की तरफ से अपने खेमे में लामबंद किए जा चुके हैं।
रामगंजमंडी पालिका के इतिहास में पालिकाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का यह पहला मामला है। इस बार पालिकाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने में भाजपा से ही निर्वाचित पार्षदों की अहम भूमिका है। निर्दलीय व कांगे्रस के पार्षद भी इनका समर्थन कर जिला कलक्टर को अविश्वास का पत्र सौंप चुके हैं। इस अविश्वास पत्र पर जिला कलक्टर ने रामगंजमंडी उपखंड अधिकारी को प्राधिकृत्त अधिकारी नियुक्त किया है। करीब पन्द्रह पार्षदों को बाड़ाबंदी कर अज्ञात स्थान पर ले जाया जा चुका है। पालिकाध्यक्ष के समर्थन वाले पांच पार्षदों का समूह भी बाड़ाबंदी में है। अविश्वास खारिज करने के लिए पालिकाध्यक्ष को 8 पार्षदों की जरूरत है तो अविश्वास पारित कराने के लिए दूसरे खेमे को 23 पार्षदों की जरूरत है। 20 पार्षदों के खेमाबंदी में जाने के बाद रामगंजमंडी में जो 10 पार्षद हैं वे किसी न किसी रुप से दोनों पक्षों से जुड़े हुए हैं। हालांकि दोनों गुट अपनी जीत को लेकर आशान्वित हैं। दोनों गुटों की तरफ से अपनी रणनीति तय करने में कोई कमी नहीं रखी जा रही। दूसरी तरफ अविश्वास को टालने का प्रयास भी चल रहा है लेकिन अभी अनिश्चितता बनी हुई है।