05 नवंबर 2019 रात 2.33 बजे… महावीर नगर पुलिस के थानाध्यक्ष हरीश भारती ने जब यह चिट्ठी पढ़ी तो उनके हाथ पैर फूल गए…। आधी रात में ही पूरे लवाजमे को छात्रा की तलाश में दौड़ा दिया… शहर के सभी पुलिस थानों को तस्वीरें भेज दी गईं… कोचिंग संस्थान से लेकर
चम्बल की कराइयों तक चप्पा चप्पा छान मारा, लेकिन तड़के तक कोई सुराग नहीं मिला…।
दोपहर में सर्विलांस टीम को छात्रा के मोबाइल की लोकेशन दिल्ली रेलवे स्टेशन और फिर इंदिरा गांधी
अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मिली… और शाम को नेपाल के बागडोगरा एयरपोर्ट। अगले दिन लड़की के पिता कोटा पहुंचे तब जाकर तस्वीर साफ हुई कि पढ़ाई के दवाब में परिजनों के परेशान होकर छात्रा स्कूल के पुराने साथी के साथ कोटा छोड़कर नेपाल जा चुकी है।
नेपाल से पढऩे भेजे था कोटामहावीर नगर थाने के सीआई हरीश भारती ने बताया कि 17 वर्षीय मुस्कान (काल्पनिक नाम) के पिता बिहार के मूल निवासी हैं, लेकिन व्यवसाय करने के लिए पूरे परिवार के साथ कई साल से नेपाल के सिरहा जिला स्थित मिर्चैया कस्बे में रह रहे थे। बड़ी बेटी को
मेडिकल की तैयारी कराने के लिए दो साल पहले कोटा लाए थे, इसके बाद जब मुस्कान ने 10 वीं पास कर ली तो उसे भी बड़ी बेटी के कोचिंग संस्थान में दाखिला दिला दिया। दोनों बेटियां महावीर नगर स्थित एक पीजी में अलग अलग कमरों में रहती थी।
कमजोर पड़ा गणित हरीश भारती ने बताया कि मुस्कान की बड़ी बहन ने बताया कि वह फैशन डिजाइनर बनने के लिए मुम्बई जाना चाहती थी, लेकिन उसके पिता इंजीनियर बनाने पर अड़े थे। मुस्कान का
गणित कमजोर था। इसकी जानकारी परिजनों को भी थी, लेकिन उन्होंने जबरदस्ती इसका दाखिला कोटा के कोचिंग संस्थान में करा दिया। टेस्ट में अंक अच्छे नहीं आए तो इस बात पर परिजनों ने उसे डांटा भी। मुस्कान ने सारी बात अपने साथ स्कूल में पढऩे वाले नेपाल निवासी दोस्त बबलू (काल्पनिक नाम) को बताई तो वह उसे सांत्वना देने लगा।
कोटा छोड़ पहुंची जनकपुरमुस्कान के पिता श्याम (काल्पनिक नाम) ने बताया कि बबलू बेटी की कमजोरी का फायदा उठा उसे बहलाने फुसलाने लगा और उसके कहने पर मुस्कान चार नवंबर की सुबह
इंटरसिटी एक्सप्रेस से पहले दिल्ली और फिर दिल्ली एयरपोर्ट के रास्ते नेपाल के डोगरा एयरपोर्ट पहुंच गई। जहां से बबलू उसे अपने दोस्तों की मदद से जनकपुर ले गया।
कोटा पुलिस को जब यह जानकारी मिली तो उन्होंने दो देशों के बीच की मुश्किलों को खत्म करने की कोशिश की, लेकिन कानूनी प्रक्रिया इतनी लंबी थी जिसकी वजह से सभी परेशान हो उठे। वहीं डर भी सता रहा था कि बेटी कहीं गलत हाथों में न पड़ जाए।
दुहन की मेहनत लाई रंग 12 नवंबर को पूरा प्रकरण आईपीएस डॉ. अमृता दुहन तक पहुंचा तो उन्होंने एसपी दीपक भार्गव से बात कर तीन टीमें नेपाल भेजने की तैयारी शुरू कर दी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानूनों की उलझनों ने मुश्किलें खड़ी कर दीं। कोटा पुलिस का मुस्कान तक पहुंचने का बेहद मुश्किल लगा तो उन्होंने वैश्विक मिशनों के दौरान मिलने वाले नेपाल पुलिस के सहयोगी अधिकारियों से संपर्क साधा। विराट नगर स्थित इंडियन काउंसलर, काठमांडू में तैनात आला पुलिस अधिकारियों और सिरहा जिले के एसपी को पूरे प्रकरण की जानकारी दे मुस्कान की तलाश करने का अनुरोध किया।
डॉ. दुहन की गंभीर कोशिशों को देख नेपाल पुलिस संदिग्धों की तलाश में जुट गई। 16 नवंबर को बबलू उनके हत्थे भी चढ़ गया, लेकिन मुस्कान का कहीं सुराग नहीं मिला। इसके बाद नेपाल पुलिस ने डॉ. अमृता दुहन से बबलू के साथियों के बारे में जानकारी ली और फिर उन्हें तलाश कर उनकी निगरानी शुरू कर दी। नेपाल पुलिस का दवाब काम आया और 25 अक्टूबर की दोपहर में मुस्कान को बरामद कर लिया गया।
मां से फिर मिली बेटी
मिर्चैया थाना पुलिस ने उसी दिन मुस्कान को उसके पिता श्याम को सौंप दिया। वह अगली सुबह उसे लेकर पटना आ गए। बेटी के अचानक लापता होने का सदमा मां बर्दास्त नही
ं कर पाई और 13 नवंबर को दिल का दौरा पडऩे के बाद गंभीर हालत में पटना एम्स में भर्ती कराया गया था। हालांकि बेटी को सकुशल अपने सामने देख वह खुशी से फूली नहीं समा रही। श्याम ने पत्रिका को बताया कि अब वह बेटी को उसकी मर्जी के मुताबिक ही पढ़ाएंगे। जबरन इंजीनियर बनाने की न तो खुद कोशिश करेंगे और ना ही किसी को ऐसा करने देंगे।
बेहद मुश्किल थी मुस्कान की तलाश मुस्कान के अचानक लापता होने से पूरे कोटा की साख दांव पर लगी थी। वह दो मोबाइल सिम का यूज कर रही थी।
बैंक एकाउंट से
ट्रांजक्शन भी कर रही थी, लेकिन परिजनों को इसकी जानकारी तक नहीं थी। हमारी सबसे बड़ी चिंता यह थी कि बच्ची कहीं गलत हाथों में न पड़ गई हो।
उसकी
चिट्ठी पढऩे के बाद पूरा फोकस परिजनों से बात करने पर उनसे हर बारीक से बारीक सूचना लेने और उसकी छानबीन करने पर दिया तब जाकर असल तस्वीर सामने आई। मुस्कान के नेपाल में होने की जानकारी मिलने के बाद जाप्ता रवाना करने की तैयारी कर ली गई, लेकिन दो देशों के बीच इस तरह की कार्रवाई के लिए
कानूनी प्रक्रिया पूरी करने में वक्त लगाता देख नेपाल पुलिस के साथियों से मदद मांगी।
उन्होंने इस मामले को इतनी गंभीरता से लिया कि जैसे तैसे बच्ची को बरामद कर परिजनों के सुपुर्द कर दिया। पूरे प्रकरण के बाद एक मां के नाते जो माता पिता अपने बच्चों को पढऩे के लिए घर से बाहर कहीं भी भेज रहे हैं से अनुरोध है कि वह बच्चों को पहले इसके लिए
मानसिक तौर पर तैयार करें और यदि वह असमर्थता जताएं तो उनके साथ जबरदस्ती न की जाए।
– डॉ. अमृता दुहन, वृताधिकारी, कोटा पुलिस