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Kota News : चन्द्रलोई नदी में मगरमच्छों की मौतें बनीं रहस्य, अब तक चार की मौत

चन्द्रलोई नदी में मंगलवार को चन्द्रेसल मठ के पास एनीकट में एक और मगरमच्छ मृत मिला। सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और शव को नदी से बाहर निकालकर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

कोटाDec 03, 2024 / 07:17 pm

Kamlesh Sharma

crocodiles in Chandraloi river
कोटा। चन्द्रलोई नदी में मंगलवार को चन्द्रेसल मठ के पास एनीकट में एक और मगरमच्छ मृत मिला। सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और शव को नदी से बाहर निकालकर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू कर दी है। चार दिन में इस नदी में चार मगरमच्छों की मौत हो गई है। मौत के कारणों पर रहस्य बना हुआ है। एक्सपर्ट में चार दिन में चार की मौत को असामान्य मान रहे हैं। यह नदी मगरमच्छ की शरणस्थली मानी जाती है। इसमें बड़ी संख्या में विचरण करते हैं। चन्द्रेसल मठ के पास ही 50 से अधिक मगरमच्छ नजर आते हैं।

एक के बाद एक की मौत

30 नवम्बर को रायपुरा नाले के पास 60 साल का मगरमच्छ मृत अवस्था में मिला था। मगरमच्छ के पैरो में गहरे घाव थे। टेरिटोरियल फाइट से मौत की आशंका बताई गई थी। फिर अगले ही दिन एक दिसम्बर को खेडली पांड्या गांव में एनीकट में चंद्रलोई नदी में एक साथ दो मगरमच्छ मृत अवस्था में मिले थे। इनमें एक नर व एक मादा था। नर की आयु 9 व मादा की आयु 7 साल बताई थी। मंगलवार को चन्द्रेसल मठ क्षेत्र एनीकट के पास मृत मगरमच्छ मिला है। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकुट नागर चन्द्रेसल मठ के एनीकट के पास से गुज रहे थे, नदी के तट पर मगरमच्छ के मरने की सूचना राजस्थान पत्रिका को दी। पत्रिका संवाददाता ने वन विभाग को सूचना दी। इसके बाद टीम मौके पर पहुंची और पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू की।

शेड्यूल ए का प्राणी

मगरमच्छ वन्यजीवों की श्रेणी में शेड्यूल ए का प्राणी है। विषय के जानकारों के अनुसार एक दायरे में बिना किसी कारण मगरमच्छों की मौत नहीं हो सकती। विभाग की सुस्ती मगरमच्छों पर भारी पड़ सकती है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार सैंपल्स जांच होने पर ही मौत के कारणों का पता लग सकेगा।

पेट से निकले थे कांच के टुकड़े, कंकड पत्थर

दो दिन पहले मृत मगरमच्छों के पोस्टमार्टम से मौत के कारण पता नहीं चल सके थे। इन मगरमच्छों के शव गले हुए थे और डीकम्पोस्ड होने लगे थे। कंकड़ पत्थर जरूरी मिले थे। पेट में कंकड़, कांच की शीशी इत्यादि अखाद्य पदार्थ मिले थे। अगला बायां व पिछला दाहिना पैर कटा हुआ था। मल्टीपल आर्गन फैल होने से मगरमच्छ की मौत हो गई थी।

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