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मध्यप्रदेश राजस्थान अंतर राज्यीय बोर्ड के सचिव हेमंत कुमार जैन ने बताया कि इस बार चम्बल पानी के बंटवारे को लेकर मध्यप्रदेश व राजस्थान के अभियंताओं की बैठक ग्वालियर में होनी है। इसकी दोनों राज्यों के जल संसाधन विभागों द्वारा तैयारियां की जा रही हैं। वहीं चम्बल परियोजना समिति के सभापति सुनील गालव ने बताया कि नहरों के संचालन को लेकर काडा (कमांड एरिया डवलपमेंट अथॉरिटी) की बैठक 22 सितम्बर को सीएडी सभागार में होनी है। इसमें चम्बल की दाईं व बाईं मुख्य नहरों के रेगुलेशन प्लान को लेकर चर्चा होगी। बैठक में दाईं व बाईं मुख्य नहर क्षेत्र में आने वाले विधायक, सांसद शामिल होंगे। दाईं व बाई मुख्य नहरों के अधीक्षण अभियंताओं ने नहरों के रेगुलेशन का प्लान मांगा गया है। बाईं मुख्य नहर का प्लान तो आ गया, दाईं मुख्य नहर का प्लान आना बाकी है। वैसे अनुमान लगाया जा रहा है कि एक अक्टूबर से दोनों नहरों में पानी छोड़ा जा सकता है।
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खाली है चम्बल के बांध इस साल मध्यप्रदेश व राजस्थान में अच्छी बरसात नहीं होने से चम्बल नदी पर बने चारों बांध खाली हैं। वैसे सिंचाई के लिए जल भराव के लिए गांधी सागर व राणा प्रताप सागर बांध में पानी भरना प्रमुख माना जाता है, लेकिन वे भी इस साल लबालब नहीं हो पाए। बैराज नियंत्रण कक्ष से प्राप्त जानकारी के अनुसार गांधी सागर बांध का जल स्तर 1299.70, राणा प्रताप सागर बांध का जलस्तर 1145.54 जवाहर सागर का जलस्तर 974.30 तथा कोटा बैराज का जलस्तर 852.90 फीट है। ज्यादा खाली गांधी सागर व राणा प्रताप सागर बांध हैं।