Delhi Mumbai ExpressWay (DME) दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे के निर्माण के दौरान लगभग 35 करोड़ घन मीटर मिट्टी को स्थानांतरित किया जाना है, जो निर्माण के दौरान 4 करोड़ ट्रकों के लदान के बराबर है। इसलिए जगह-जगह मिट्टी की खुदाई की जा रही है। गांवों से मिट्टी खोद तालाबों का भी निर्माण किया जा रहा है।
देश का सबसे लम्बा एक्सप्रेस-वे करीब 98000 करोड़ रुपए की लागत से 1380 किमी लंबा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे भारत में सबसे लंबा होगा। यह राष्ट्रीय राजधानी-दिल्ली और वित्तीय राजधानी-मुम्बई के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा। यह एक्सप्रेस-वे क्षेत्र के शहरी केन्द्रों को दिल्ली-फरीदाबाद-सोहना खंड के गलियारे के साथ-साथ जेवर एयरपोर्ट और मुम्बई में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट को एक छोटे संपर्क मार्ग के जरिए जोड़ेगा।
बदलेगी हाड़ौती की तस्वीर- परियोजना के तहत हाड़ौती क्षेत्र से गुजर रहे एक्सप्रेस-वे के आस-पास के गांवों में तालाबों से बड़े स्तर पर मिट्टी उठाई गई हैं। कोटा जिले में दीगोद, सीमलिया और डूंगरज्या गांव में तालाब बनाए गए हैं। मंडोला और कुराडिय़ा में तालाब गहरे किए गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि रास्ते में पडऩे वाले सभी गांवों में ठीक से तालाब बनाए जाएं तो जलक्रांति आ सकती है। सवाईमाधोपुर जिले में कई जगह तालाब बनाए हैं।
इसलिए तालाब खोदे जा रहे- एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए बड़ी मात्रा में मिट्टी आवश्यकता है। ऐसे में मिट्टी खुदाई इस तरह से की जा रही कि जहां से मिट्टी ली जाए, वहां जल संरचना बन जाए और भविष्य में ग्रामीणों के उपयोग में आ सके। मिट्टी उठाने के लिए मशीनों से खुदाई करते हुए उसके बाद चारों ओर पाल भी बनाई गई है। कुछ जगह पुराने तालाबों को भी गहरा किया गया है। कोटा जिले में डंूगरज्या में कमल सरोवर के पास नया तालाब विकसित किया गया है।
गांवों में बढ़ेगी क्रांति- तालाब खुदने से गांवों में वर्षा के जल का संचय होगा। तालाब भरेंगे तो कुओं व नलकूपों का जलस्तर बढ़ेगा। योजना के तहत 11 हजार पेड़ भी लगाए जाएंगे, जिससे हरियाली को बढ़ावा मिलेगा। नए तालाब विकसित होने से गांवों की तस्वीर ही बदल जाएगी। इससे श्वेत व हरित क्रांति में भी बढ़ोतरी होगी।
लोकसभा अध्यक्ष को बताई थी समस्या-
गत 6 जुलाई को किसानों व ग्रामीणों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को अवगत कराया था कि एक्सप्रेस-वे निर्माण कार्य के दौरान मिट्टी की आवश्यकता की पूर्ति के लिए गांव में अनियमित खुदाई की जा रही है। यदि सही तरीके से खुदाई हो तो कई गांवों में तालाब बनाए जा सकते हैं, जिससे जल संरक्षण में भी सहायता मिलेगी। लोकसभा अध्यक्ष को शिकायत के बाद एक्सप्रेस वे निर्माण कम्पनी ने गांवों में व्यवस्थित तरीके से खुदाई कर तालाबों की संरचना तैयार की।
इनका कहना है- एक्सप्रेस-वे के निर्माण के दौरान मिट्टी खुदाई करके सीमलिया में तालाब को काफी गहरा कर दिया गया है। यह बहुत ही उपयोगी साबित होगा। -मुकुल, सीमलिया, कोटा एक्सप्रेस वे के निर्माण के लिए हमारे गांव में मिट्टी निकाली गई। तालाब ज्यादा गहरा खोद दिया गया है। तालाबों से लाभ होगा, लेकिन उनकी पाल को और मजबूत करना होगा और खुदाई संतुलित की जाए।
-रामप्रसाद नागर, डूंगरज्या ग्राम पंचायत, कोटा
एक्सप्रेस-वे के निर्माण के दौरान सवाई माधोपुर जिले में काफी तलाब बने हैं, इनमें पानी भरने से किसान खुश हैं। पानी का उपयोग सिंचाई के लिए भी हो सकेगा। -मनोज कुमार शर्मा, परियोजना निदेशक, सवाई माधोपुर
राजस्थान में ऐसा होगा एक्सप्रेस-वे-278 अंडरपास 6 ओवरपास7 आरओबी 1 टनल12 फ्लाईओवर 13 इंटरचेंज11 हजार पेड़ लगेंगे 28 सुविधा केन्द्र होंगे READ MORE : Big Dream of Kota : बहुत हुआ इंतजार, अब बन ही जाएं नया एयरपोर्ट