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जगी थी उम्मीदकिसानों का कहना है कि चने के बाद केन्द्र सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत राजस्थान में लहसुन और प्याज खरीद के आदेश दिए तो लगा कि लहसुन अब औने पौने दामों में नहीं बेचना पड़ेगा। लहसुन की खरीद राजनीतिक अखाड़े में फंस कर रह गई। किसानों के सब्र का बंध टूट रहा है। सम्भाग में 80 प्रतिशत किसानों ने सस्ते दामों में लहसुन बेच डाला। 20 प्रतिशत किसान जैसे तैसे सब्र रखकर लहसुन की खरीद शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं।
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बेटे की शादी आगे खिसकानी पड़ीसुल्तानपुर क्षेत्र के बिस्लाई निवासी किशन लाल मीणा ने बताया कि 20 बीघा में लहसुन बोया था। अच्छे भाव के चक्कर में लहसुन रोक रखा है। 23 जून की बेटे की शादी तय की थी, लेकिन अब शादी अगले साल करेंगे। लहसुन की खरीद शुरू नहीं हुई तो शादी करना तो दूर कर्ज का ब्याज भी चुकाना भारी पड़ेगा।
लहसुन बिके तो आगे की तैयारी करें
झालावाड़ जिले की खानपुर तहसील के आकोदिया निवासी रघुवीर किराड़ ने बताया कि 10 बीघा में 110 ङ्क्षक्वटल लहसुन हुआ है। घर परिवार की जरूरत व कर्ज चुकाने के लिए 60 ङ्क्षक्वटल लहसुन बाजार में औने-पौने दामों में बेच दिया। 50 ङ्क्षक्वटल सरकारी खरीद के लिए रोक रखा है। अब तो ङ्क्षचता सता रही है कि खरीद शुरू नहीं हुई तो आगे की फसल की तैयारी कैसे होगी।
झालावाड़ जिले की खानपुर तहसील के आकोदिया निवासी रघुवीर किराड़ ने बताया कि 10 बीघा में 110 ङ्क्षक्वटल लहसुन हुआ है। घर परिवार की जरूरत व कर्ज चुकाने के लिए 60 ङ्क्षक्वटल लहसुन बाजार में औने-पौने दामों में बेच दिया। 50 ङ्क्षक्वटल सरकारी खरीद के लिए रोक रखा है। अब तो ङ्क्षचता सता रही है कि खरीद शुरू नहीं हुई तो आगे की फसल की तैयारी कैसे होगी।
सरकारी खरीद के चक्कर में कर्ज लेकर की शादी
कोटा जिले के सुल्तानपुर क्षेत्र के झाकडोन निवासी गिरीराज नागर ने 8 बीघा में लहसुन किया था। लहसुन की सरकारी खरीद की उम्मीद में अब तक नहीं बेचा। इसी बीच 15 मई को कर्ज लेकर बेटे की शादी कर दी। अब उधारी वाले तकाजा कर रहे है। खरीद शुरू हो तो कर्जा चुके, घर के काम निपटें।
कोटा जिले के सुल्तानपुर क्षेत्र के झाकडोन निवासी गिरीराज नागर ने 8 बीघा में लहसुन किया था। लहसुन की सरकारी खरीद की उम्मीद में अब तक नहीं बेचा। इसी बीच 15 मई को कर्ज लेकर बेटे की शादी कर दी। अब उधारी वाले तकाजा कर रहे है। खरीद शुरू हो तो कर्जा चुके, घर के काम निपटें।
बच्चों की फीस भी नहीं भर पाएंगे
बूंदी जिले के तालेड़ा क्षेत्र के मोहीपुरा बल्डा निवासी बजरंग लाल मीणा ने बताया कि 8 बीघा में लहसुन किया था। अभी बाजार में लहसुन बेचने पर लागत भी नहीं मिल रही। खेती के अलावा आय का दूसरा कोई जरिया नहीं है। तीन बच्चे निजी स्कूल में पढ़ रहे हैं। अगले माह फीस भरने पड़ेगी। खरीद शुरू नहीं हुई तो सस्ते दामों पर लहसुन बेचना पड़ेगा और कर्ज लेकर फीस भरनी पड़ेगी।
बूंदी जिले के तालेड़ा क्षेत्र के मोहीपुरा बल्डा निवासी बजरंग लाल मीणा ने बताया कि 8 बीघा में लहसुन किया था। अभी बाजार में लहसुन बेचने पर लागत भी नहीं मिल रही। खेती के अलावा आय का दूसरा कोई जरिया नहीं है। तीन बच्चे निजी स्कूल में पढ़ रहे हैं। अगले माह फीस भरने पड़ेगी। खरीद शुरू नहीं हुई तो सस्ते दामों पर लहसुन बेचना पड़ेगा और कर्ज लेकर फीस भरनी पड़ेगी।
लहसुन नहीं खरीदा तो मुनाफा काश्त के 1 लाख रुपए डूब जाएंगे
सुल्तानपुर क्षेत्र के अमरपुरा निवासी रामेश्वर ने लहसुन की सरकारी खरीद की खबरें सुनने के बाद अगली फसल के लिए 50 बीघा जमीन मुनाफा काश्त के लिए ले ली और 1 लाख रुपए एडवांस दे दिए। बाकी पैसा 28 जून को देना तय हुआ था। अब ङ्क्षचता सता रही है कि लहसुन खरीद शुरू नहीं हुई तो बाकी भुगतान कैसे होगा।
सुल्तानपुर क्षेत्र के अमरपुरा निवासी रामेश्वर ने लहसुन की सरकारी खरीद की खबरें सुनने के बाद अगली फसल के लिए 50 बीघा जमीन मुनाफा काश्त के लिए ले ली और 1 लाख रुपए एडवांस दे दिए। बाकी पैसा 28 जून को देना तय हुआ था। अब ङ्क्षचता सता रही है कि लहसुन खरीद शुरू नहीं हुई तो बाकी भुगतान कैसे होगा।