अस्पताल में मीटिंग आयोजित, बाहर गन्दा पानी जमा
एमबीएस में प्रतिदिन दो से ढाई हजार की ओपीडी रहती है। ऐसे में यहा आने वाले मरीज व तिमारदारों को पानी के बीच से होकर निकलना पड़ता है। जो कही ना कहीं बीमारियों को न्यौता दे रहा है। जानकारी के बावजूद भी अस्पताल प्रशासन ना तो एंटी लार्वा एक्टिविटी करवा रहा है, ना ही एमएलओ का छिड़काव। यू तो चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग घर घर सर्वे अभियान चलाकर लोगो को जागरूक कर रहा है। रविवार को भी एमबीएस अस्पताल स्थित आईएमए हॉल में डेंगू की रोकथाम व बचाव के उपाय को लेकर मीटिंग आयोजित हुई। जबकि बाहर पुराना गन्दा पानी जमा था।
एमबीएस में प्रतिदिन दो से ढाई हजार की ओपीडी रहती है। ऐसे में यहा आने वाले मरीज व तिमारदारों को पानी के बीच से होकर निकलना पड़ता है। जो कही ना कहीं बीमारियों को न्यौता दे रहा है। जानकारी के बावजूद भी अस्पताल प्रशासन ना तो एंटी लार्वा एक्टिविटी करवा रहा है, ना ही एमएलओ का छिड़काव। यू तो चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग घर घर सर्वे अभियान चलाकर लोगो को जागरूक कर रहा है। रविवार को भी एमबीएस अस्पताल स्थित आईएमए हॉल में डेंगू की रोकथाम व बचाव के उपाय को लेकर मीटिंग आयोजित हुई। जबकि बाहर पुराना गन्दा पानी जमा था।
अस्पतालों ने पेस्ट कंट्रोल नही करवाया
डेंगू मुक्त कोटा की टीम की ओर से आयोजित इस मीटिंग में जेके लोन अधीक्षक डॉ एचएल मीणा, सीएमएचओ डॉ आरके लवानिया, डब्ल्यूएचओ के सदस्य डॉ राजेश शामिल हुए। लेकिन एमबीएस अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई भी प्रतिनिधि शामिल नही हुआ। सीएमएचओ भी मानते है कि सरकारी अस्पतालो द्वारा अभियान में रुचि नही दिखाई जा रही। निर्देशो के बाद भी अभी भी कई अस्पतालों ने पेस्ट कंट्रोल नही करवाया है। आपको बता दे पिछले साल मौसमी बीमारी व डेंगू के प्रकोप ने कोटा में कोहराम मचाया था। उसके बाद भी इस साल अस्पताल प्रशासन सतर्क नही हुआ। सरकारी अस्पतालों के अभियान में रुचि नही दिखाने से ऐसा प्रतीत हो रहा कि अस्पताल इलाज के बजाय बीमारी बाटने में लगा है।
डेंगू मुक्त कोटा की टीम की ओर से आयोजित इस मीटिंग में जेके लोन अधीक्षक डॉ एचएल मीणा, सीएमएचओ डॉ आरके लवानिया, डब्ल्यूएचओ के सदस्य डॉ राजेश शामिल हुए। लेकिन एमबीएस अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई भी प्रतिनिधि शामिल नही हुआ। सीएमएचओ भी मानते है कि सरकारी अस्पतालो द्वारा अभियान में रुचि नही दिखाई जा रही। निर्देशो के बाद भी अभी भी कई अस्पतालों ने पेस्ट कंट्रोल नही करवाया है। आपको बता दे पिछले साल मौसमी बीमारी व डेंगू के प्रकोप ने कोटा में कोहराम मचाया था। उसके बाद भी इस साल अस्पताल प्रशासन सतर्क नही हुआ। सरकारी अस्पतालों के अभियान में रुचि नही दिखाने से ऐसा प्रतीत हो रहा कि अस्पताल इलाज के बजाय बीमारी बाटने में लगा है।