दो साल में मरीज बढ़े
पिछले पांच साल से इस बीमारी के मरीज आने लगे हैं। 2015 से लेकर 2017 तक 46 मरीज सामने आए थे, लेकिन साल 2018 व 2019 में 342 मरीज सामने आ चुके हैं। 2018 में 172 व 2019 में अब तक 170 मरीज सामने आ चुके हैं।
यह भी पढ़ें
कोटा संभाग में डेंगू ने तोड़ा रेकॉर्ड, एक ही दिन में 42 मरीज पॉजीटिव, अस्पतालों में पैर रखने तक की जगह नहीं
शहर के हर कोने से मरीज
इस साल शहर के हर कोन से स्क्रब टायफस मरीज सामने आए हैं। सबसे अधिक भीमगंजमंडी क्षेत्र में मरीज अधिक मिले हैं। इस बार कोचिंग एरिया में भी पैर पसारे हैं। इनमें तलवंडी, महावीर नगर, केशवपुरा, रंगबाड़ी, विज्ञाननगर, कुन्हाड़ी क्षेत्र से स्क्रब टायफस के मरीज मिले हैं।
गांव से ज्यादा शहर में
चिकित्सा विभाग के आंकड़ों के अनुसार कोटा जिले के छह ब्लॉकों पर नजर डालें तो कोटा शहर में सबसे अधिक 59 मरीज, इटावा 33, सांगोद 26, चेचट 19, सुल्तानपुर 16 व कैथून से 11 मरीज मिल चुके हैं।
यह भी पढ़ें
हाड़ौती में मौसमी बीमारियों का कहर जारी, कोटा में डेंगू से युवक और स्क्रब टायफस से विवाहिता की मौत
ऐसे होती है बीमारी
यह बीमारी पिस्सू नाम के कीड़े से होती है। यह लाल रंग का होता है। यह जानवरों का खून चूसता है। जैसे ही पिस्सू काटता है, उसकी लार में मौजूद खतरनाक जीवाणु मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। पिस्सू के काटने से कुछ दिनों बाद बुखार आता, सिर व हाथ-पैर में दर्द होता है। ऐसे करें बचाव
घास व झाडिय़ों में नंगे पैर नहीं जाएं।
घर के आसपास झाडिय़ों को कटवाएं।
घर से निकलते समय जूते व मौजे पहनें।
यह भी पढ़ें
दर्द का समंदर: हाड़ौती में मौसमी बीमारियों ने मचाया हाहाकार, अस्पताल में धक्का-मुक्की, गश खाकर गिरे मरीज
इस कारण फैली बीमारीशहर में पशु ज्यादा होने से यह बीमारी फैली है। शहर की सड़कों पर आवारा पशु हैं तो बीच कॉलोनियों में बड़े-बड़े बाड़े बने हैं। पशुओं के इर्द-गिर्द पिस्सू होने से इंसानों में यह बीमारी फैली है।
इस साल बारिश ज्यादा होने से पिस्सू की संख्या बढ़ी है। इस कारण स्क्रब टायफस के मरीज बढ़े हंै। पशु चिकित्सा विभाग को साथ लेकर हमने समय-समय पर पिस्सू को खत्म करने के लिए एक्टीविटी की है। इस बीमारी में इलाज संभव है, लेकिन समय पर इलाज होने से ही बचा जा सकता है।
डॉ. बीएस तंवर, सीएमएचओ