अभिभावक बोले, शुल्क लौटाएं-
अभिभावकों ने कहा कि राजकीय महात्मा गांधी स्कूलों में सरकारी कर्मचारी के बच्चों से 5000 रुपए व सामान्य परिवारों के बच्चों से 3000 रुपए तक वसूली की जा रही है। जबकि नि:शुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत इस तरह की वसूली नहीं की जा सकती है। बच्चों से वसूला गया विकास शुल्क रिफंड किया जाए।
विद्यालयों ने बैक डेट में काटी रसीदें-
नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE ACT ) का उल्लंघन कर विकास शुल्क ले चुके विद्यालय अब बचाव की कोशिश में हैं। विद्यालयों ने बच्चों से लिए शुल्क की बैक डेट में रसीदें काटी है।
निजी कम्पनी से विकास, फिर भी बच्चों पर बोझ-
सुल्तानपुर विद्यालय में सीएफसीएल (गड़ेपान) की ओर से स्मार्ट क्लासेज, फर्नीचर, कम्प्यूटर, भवन मरम्मत व रंगरोगन, शौचालय निर्माण इत्यादि सुविधा के कार्य करवाए गए हैं। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि विद्यार्थियों से लिया गया विकास शुल्क बच्चों के विकास पर कहां खर्च किया जाएगा।
कोटा में बच्चों से लिया शुल्क : एक नजर
-अंग्रेजी माध्यम विद्यालय गुमानपुरा में प्रथम क्लास में 30 नए बच्चों ने प्रवेश लिया। स्कूल ने 30 नए बच्चों से 3-3 हजार व 19 पुराने से 1-1 हजार रुपए लिए।
-अंग्रेजी माध्यम विद्यालय नयापुरा में विकास शुल्क पहले तो 3 हजार तय किया। जिस पर 18 बच्चों से 54 हजार रुपए वसूले। लेकिन बीच में प्रिंसिपल ने आदेश पर रोक लगा दी।
-अंग्रेजी माध्यम विद्यालय सांगोद में नए प्रवेश लेने वाले 30 बच्चों में प्रत्येक से 500 रुपए का शुल्क लिया गया।
-अंग्रेजी माध्यम विद्यालय रामगंजमंडी में नए प्रवेश लेने वाले 30 विद्यार्थियों में प्रत्येक से 500 रुपए का विकास शुल्क लिया।
-अंग्रेजी माध्यम विद्यालय इटावा में नए प्रवेश लेने वाले 30 विद्यार्थियों से प्रत्येक से 500 रुपए का विकास शुल्क लिया गया।
-अंग्रेजी माध्यम विद्यालय सुल्तानपुर में नए 120 विद्यार्थियों में प्रत्येक से 2 हजार रुपए का विकास शुल्क लिया गया।
इनका कहना है-
विद्यालयों से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी गई है। बिना अनुमति व आरटीई नियम का उल्लंघन कर मनमानी से शुल्क वसूलने में जो भी दोषी होगा, उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए मुख्यालय को लिखा जाएगा।
-प्रदीप चौधरी, अतिरिक्त जिला अधिकारी माध्यमिक शिक्षा (प्रशासन), कोटा