बच्चों की मौत के लिए चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा को जिम्मेदार ठहराया और इस्तीफा देने की मांग रखी। समिति का नेतृत्व कर रहे राजेन्द्र राठौड़ ने कहा, तकलीफ के साथ एक साल बाद हम फिर उसी संभाग मुख्यालय के सबसे बड़े बच्चों के अस्पताल में आए हैं। हमें एक साल पहले की बात याद आ रही है। जब दो समितियां बनी थी। जिसमें एक को मैं लीड कर रहा था और एक को का नेतृत्व सांसद जसकौर मीना कर रही थीं। जब जो देखा उसके बाद अभी भी हालात जस के तस हैं। सरकार की लापरवाही से यह अस्पताल बच्चों की मौत के कारखाने की तरह पहचान बनाए हुए है। पिछले साल 35 दिनों 110 बच्चों की मौत हुई थी। यहां चार यूनिट हैं उनमें एक के अलावा सभी तीन यूनिट में एक सहायक प्रोफेसर के भरोसे चल रही है। एक-एक वार्मर में दो-दो बच्चे हैं, उनके परिजन बाहर रहते हैं। वे संक्रमण से कैसे बचेंगे। अस्पताल के अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि 10 दिसम्बर को 9 नहीं 13 बच्चों की मौत और 11 दिसम्बर को पांच मौतें हुई हैं। पिछले साल स्टाफ को शिशुओं को स्तनपान कराने के तरीके बताने का प्रशिक्षण देने की बात हुई थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
राठौड़ ने कहा, चिकित्सा उपकरणों में जंग लगी हुई है। पिछली बार लंबे चौड़े दावे करने वाली सरकार संवेदनहीन है। हालात के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है। यदि चिकित्सा मंत्री में जरा भी संवेदनशीलता है तो उन्हें पद से इस्तीफ दे देना चाहिए। दो दिनों में 18 मौतें होना सरकार के मुंह पर तमाचा है। अस्पताल में 117 उपकरण खराब हैं। ससंदीय मंत्री शांति धारीवाल ने पिछले साल की तरह ही हमारे दौरे को देखते हुए यहां गुंडों को तैनात किया। हम पुलिस की व्यवस्था और हमारे कार्यकर्ताओं के बल पर दौरा कर पाए हैं। चुने हुए जन प्रतिनिधियों को गुंडा तत्वों की ताकत पर रोकना लोकतंत्र का अपमान है। चिकित्सा मंत्री पर पीपीई किट में अनियमिता करने का आरोप लगाते हुए कहा, इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएंगे।