कोटा

Disha Bodh : वक्त की कीमत समझो और वर्तमान में जीओ – डॉ. गुलाब कोठारी

जो बीत गया उसके बारे में सोच कर वर्तमान को क्यों खत्म कर रहे हो। जो अभी हुआ ही नहीं है उसकी भी चिंता क्यों कर रहे हो। सब कुछ वर्तमान में समाहित है।

कोटाMay 09, 2018 / 12:49 pm

​Zuber Khan

कोटा . जो बीत गया उसके बारे में सोच कर वर्तमान को क्यों खत्म कर रहे हो। जो अभी हुआ ही नहीं है उसकी भी चिंता क्यों कर रहे हो। सब कुछ वर्तमान में समाहित है। इसलिए वर्तमान को संवारने में जुटो। सभी समस्याओं का अंत खुद ब खुद हो जाएगा। पत्रिका के दिशा बोध कार्यक्रम में आए कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक से आए हजारों बच्चों को जीवन का यह मूल मंत्र दिया युगांतकारी विचारक, प्रख्यात चिंतक और पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी ने।
यह भी पढ़ें

कोटा में बोले पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी-‘संकल्प लें कि देश और समाज के लिए जिएंगे’



डॉ. गुलाब कोठारी ने छात्रों के साथ संवाद स्थापित करते हुए कहा कि आज उनसे उन विषयों पर बात करेंगे जिनकी चिंता कोई नहीं करता। जो पढ़ाई का हिस्सा नहीं हैं। 8 घंटे की पढ़ाई हमें देती क्या है सिर्फ करियर की चिंता।
PICS: पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी का कोटा में भव्य स्वागत…देखिए तस्वीरों में…

इस चिंता से उबरने के लिए कुछ कर गुजरने की उम्र दांव पर लगा देते हैं। जो पैसा पास में है उसे भी खर्च कर देते हैं, लेकिन जिस 8 घंटे के लिए 16 घंटे जी रहे हैं उसे संवारना भूल जाते हैं। उसके बारे में बात करना तो दूर चिंतन तक नहीं करते। इसलिए रोज कम से कम एक बार खुद से जरूर पूछें कि आखिर हम जी क्यों रहे हैं। जीवन का उ²ेश्य क्या है। निश्चित ही तमाम समस्याओं के समाधान हो जाएंगे। रास्ते पर छाई धुंध छंट जाएगी। फ्यूचर और पास्ट जीवन के बड़े शत्रू हैं। वर्तमान में जीना ही पूजा है।

हक से करें बात

कॉलेज में विषय पढ़ाए जा रहे हैं जिंदगी नहीं। जीवन और उसके मूल्य क्या हैं? इसे सिर्फ और सिर्फ माता-पिता ही समझा सकते हैं। जीवन के मूल्यों का निर्माण सिर्फ वहीं कर सकते हैं। आपका सपना हैं मा-बाप इसलिए उनसे जुडि़ए और लडि़ए। क्योंकि 16 घंटे जीने का ज्ञान तो वही दे सकते हैं।
Video: पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी का कोटा में जोरदार स्वागत देखिए वीडियो में…

आप माता-पिता का अंश हैं इसलिए अपने दिल का दर्द वही आपको दे सकते हैं। समझा सकते हैं कि जीवन के मायने क्या हैं। कुछ भी छोड़ दीजिए लेकिन माता-पिता के साथ बात करने, अपनी खामियों को दूर करने और बेहतर बनने का तरीका पूछना मत भूलिए। यह अधिकार है आपका, जिससे भागने के बजाय उसे लेना सीखिए।
यह भी पढ़ें

खुश खबरी: अब कोटा में चलेंगे महिलाओं के लिए स्पेशल पिंक ऑटो, पुरूष होंगे Not Aloud



मां ही बता सकती है आपकी कमियां

डॉ. कोठारी ने बच्चों को सीख दी कि अपनी गलतियां जाननी हैं तो मां के पास जाइए। यदि उन्हें कोई बदल सकता है तो वह सिर्फ मेरा कुम्हार है। जिसने मुझे गढ़ा है वह मां है। कोई वेल्यू और मोरल एजुकेशन कुछ भी काम नहीं आने वाली। मां के अलावा बच्चे को कोई भी नहीं बदल सकता।
 

गुठली बना दो खुद को
निरंतर बढ़ते संघर्ष के बीच सफलता हासिल करने का मूल मंत्र बताते हुए डॉ. कोठारी ने छात्रों को गुठली बनने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि आज के दौर में हम इतने स्वार्थी हो गए हैं कि अपने सिवाय किसी के लिए जीने को तैयार नहीं हैं। यहीं से मुसीबतों की शुरुआत होती है। यदि जीवन का परम लक्ष्य हासिल करना है, किसी भी मुश्किल पल को जीत सफलता हासिल करनी है तो खुद को एक गुठली की तरह खपाने के लिए तैयार रहना होगा। क्योंकि इसी गुठली में बड़े से बड़ा वट वृक्ष छिपा रहता है। जो उसके जमीन में गढऩे पर ही बाहर निकलता है।
 

संबंधित विषय:

Home / Kota / Disha Bodh : वक्त की कीमत समझो और वर्तमान में जीओ – डॉ. गुलाब कोठारी

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.