समिति अध्यक्ष हरीश गुरुबख्शाणी ने बताया कि स्कूल के दस्तावेजों में एक ही बच्चे के दो-दो स्कॉलर नम्बर मिले। बच्चों के अभिभावकों में भाई-बहनों के नाम आने चाहिए थे, लेकिन एम.ए. थॉमस का नाम पाया गया। कैशबुक कम्पलीट नहीं मिली। पैसा कहां से आ रहा है, कहां जा रहा है, कोई पता नहीं है। शिक्षकों को दिए जाने वाला वेतन न्यूनतम मजदूरी से कम मिला और उसका भी रिकॉर्ड नहीं मिला।
ऐसा भी मिला एक बच्चा 22 जून को आया था। उसका उसी परिसर में बने हॉस्टल में दाखिला हुआ, लेकिन उसी परिसर में बने स्कूल में 4 अगस्त को प्रवेश दर्शा रखा है। इस बीच वह कहां गया। कोई रिकॉर्ड नहीं है।
आरटीई पोर्टल पर नहीं मिला रजिस्टे्रशन शिक्षा विभाग के अनुसार किसी भी निजी स्कूल को मान्यता देने के बाद उसका आरटीई पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन जरूरी होता है। इससे यह पता रहता है कि स्कूल कहां चल रहा है और उसमें कितने बच्चे अध्ययनरत है, लेकिन इस स्कूल का आरटीई पोर्टल पर कोई रजिस्ट्रेशन नहीं मिला। उधर, स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है कि वह स्कूल में बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाते है। इस कारण पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं करा रखा है।
टीम में यह रहे शामिल जांच दल में कल्याण कल्याण समिति की सदस्य शुभा गुप्ता, सुनीता जैन, बाल अधिकारिता विभाग जयपुर से उपनिदेशक श्रद्धा गौतम, जिला बाल संरक्षण इकाई से सहायक निदेशक सविता कृष्णैया, संरक्षण अधिकारी दिनेश शर्मा, राजकीय बालिका गृह अधीक्षक श्वेता शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक एंजिलिका पलात, मानव तस्करी यूनिट प्रभारी राजेन्द्र सिंह, चाइल्ड लाइन व शेल्टर होम के प्रतिनिधि शामिल रहे।
एक माह पहले बच्चों को कराया था मुक्त रायपुरा स्थित इम्मानुअल मिशन हॉस्टल से बाल कल्याण समिति की टीमों ने पिछले दिनों 70 बच्चों को रेस्क्यू किया था। उन्हें अलग-अलग शेल्टर होम में रखा गया।
इम्मानुअल मिशन माध्यमिक स्कूल के दस्तावेजों की छानबीन की। जिसमें कई रिकॉर्ड नहीं मिले। कई में गड़बड़ी मिली है। उनको जब्त कर लिया है। स्कूल की तरफ से दो सूचियों में 1441 बच्चों के अध्ययनरत की सूचना दी गई है। सभी का रिकॉर्ड देखा जा रहा है।
हरीश गुरुबख्शाणी, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति, कोटा