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OMG: घोड़े, पिग और गाय की हड्डियों से निकले जिलेटिन से बनते है,कैप्सूल के खोल..दवा खाने से पहले हो जाये सावधान

मर्ज दुरुस्त करने के बजाय मरीज को बांट रहे लाइलाज बीमारी…अवैध कैप्सूल के खाली खोल जानलेवा

कोटाNov 06, 2019 / 10:00 am

Suraksha Rajora

OMG: घोड़े, पिग और गाय की हड्डियों से निकले जिलेटिन से बनते है,कैप्सूल के खोल..दवा खाने से पहले हो जाये सावधान

OMG: घोड़े, पिग और गाय की हड्डियों से निकले जिलेटिन से बनते है,कैप्सूल के खोल..दवा खाने से पहले हो जाये सावधान

कोटा . अवैध दवा कारोबार को चीनी कंपनियां खुलेआम हवा दे रही हैं। अलीबाबा समेत चीन की सैकड़ों कंपनियां ड्रग लाइसेंस और खरीदार की जानकारी जुटाए बिना धड़ल्ले से कैप्सूल के खाली खोल की होम डिलेवरी कर रही हैं। यह कंपनियां महज एक डॉलर (70.82 रुपए) में एक हजार कैप्सूल के खाली खोल कोटा ही नहीं भारतीय बाजारों में खुलेआम सप्लाई कर रही हैं।
इन खोलों को,पिग घोड़े और गाय की हड्डियों से निकलने वाले जिलेटिन से बनाया जाता है। जो मर्ज दुरुस्त करने के बजाय मरीज को लाइलाज बीमारी बांट रहे हैं। कोटा में औषधि नियंत्रण विभाग की तीन दिन तक लगातार चली कार्रवाई में चार हजार किलो से ज्यादा अवैध कैप्सूल के खाली खोल बरामद किए गए।
स्टॉकिस्टों के पास इन कैप्सूलों की खरीदारी और बिक्री का कोई हिसाब मौजूद नहीं था, न ही सप्लायर और विक्रेता की जानकारी से जुड़े दस्तावेज। इसके बाद कोटा में दवाओं के अवैध कारोबार और नकली दवाएं बनाने के बड़े गिरोह की सक्रियता की आशंका बढ़ गई है। जिन कारोबारियों के यहां से कैप्सूल के अवैध खाली खोल बरामद किए गए, वह नकली दवाओं के लिए दशकों से बदनाम मंडियों आगरा, मथुरा और इंदौर से माल लाए जाने की बात कह रहे हैं। इससे पूरे महकमे में खासा हड़कंप मचा हुआ है।

चीनी कंपनियां भारत में अवैध तरीके से बेच रही कैप्सूल के खाली खोल सूअर, घोड़ों और गाय की हड्डियों एवं खुरों को उबालकर निकालते हैं। चिकित्सकों की मानें तो जानवरों की हड्डियों और खुरों से जिलेटिन निकालते समय सावधानी न बरती जाए तो यह जानलेवा तक हो सकता है। इसके साथ ही तमाम लोगों को जानवरों की हड्डियों और खुरों से निकाली गई इस जिलेटिन से एलर्जी भी होती है जो रोगी को ठीक करने के बजाय उसका मर्ज और भी ज्यादा बढ़ा सकती हैं।
मरीजों को सबसे ज्यादा खतरा गाय की हड्डियों और खुरों से निकाले जाने वाले जिलेटिन से होता है, क्योंकि अधिकांश चीनी गायें बोवाइन स्पन्फिफॉर्म एनसेफालोपैथी से संक्रमित पाई जाती हैं, जिसे भारत में पागल गाय रोग के नाम से जाना जाता है। मछली के तेल और प्राकृतिक वनस्पतियों के सैलूलोज और पॉलीमर से तैयार होने वाले कैप्सूल के खोल खासे मंहगे पड़ते हैं, इसीलिए अवैध दवा कारोबारी इसी सस्ती चीनी जिलेटिन का इस्तेमाल करते हैं।

भरने के लिए लगानी पड़ती है मशीन
कैप्सूल के खोल में दवाएं हाथ से नहीं भरी जा सकती। इसके लिए बकायदा मशीनें लगानी पड़ती हैं। बकायदा दवा उत्पाद का लाइसेंस लेना पड़ता है। कैप्सूल में दवा भरने के बाद उस पर कंपनी, दवा और ब्रांड का नाम लिखने के लिए भी लेबलिंग मशीन का इस्तेमाल करना पड़ता है, लेकिन औषधि नियंत्रण विभाग अभी तक इन दोनों मशीनों का इस्तेमाल करने वालों तक नहीं पहुंच सका है। ऐसे में कोटा में मिली जिलेटिन के अवैध खाली कैप्सूल की भारीभरकम खेप ने हाड़ौती में अवैध दवा कारोबार के मौजूद होने की आशंका खासी बढ़ा दी है।

मेनका गांधी ने किया था विरोध
पिछली मोदी सरकार में केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री के तौर पर मेनका गांधी ने स्वास्थ्य मंत्रालय को बकायदा पत्र लिखकर जिलेटिन और खासतौर पर अवैध जिलेटिन से बने कैप्सूलों के खोलों के निर्माण और इस्तेमाल पर कड़ाई से प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
उन्होंने सरकार से मांग की थी कि दवा निर्माण में पशुओं की हड्डियों एवं खुरों से निकलने वाले जिलेटिन से कैप्सूल के खाली खोल बनाने के बजाय पौधों की छाल या उनसे निकलने वाले रस से तैयार होने वाले सेल्यूलोज से ही बने कैप्सूल कवर के इस्तेमाल की इजाजत दी जाए। तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी धार्मिक संगठनों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने का आश्वासन दिया था।
चीन बेच रहा है अवैध माल

औषधि नियंत्रण विभाग कैप्सूल के अवैध खाली खोलों के सप्लायर और खरीदारों की जानकारी जुटाने में लगा हुआ है, लेकिन माल की खरीद से जुड़े दस्तावेज की बात तो छोडि़ए ट्रांसपोर्टर और जीएसटी के दस्तावेज तक न मिलने से इनके चाइनीज कंपनियों से खरीदे जाने की आशंका भी बढ़ गई है। अलीबाबा समेत चीन की सैकड़ों कंपनियां घातक जिलेटिन के बने खाली खोलों की सस्ते दामों पर होम डिलेवरी कर रही हैं।
इन कंपनियों की अधिकारिक वेबसाइटों पर जब ऑर्डर बुक कराए गए तो महज तीन से चार दिन में कोटा तक माल सप्लाई करने का दावा किया गया। इसके साथ ही एक हजार कैप्सूल के खोलों की कीमत भी मजह एक डॉलर मांगी गई।
ताक पर भारतीय कानून

ऑनलाइन कैप्सूल के खाली खोल बेच रही इन कंपनियों से संपर्क साधा गया तो उन्होंने बिना किसी कानूनी अड़चन के जिलेटिन के खाली खोल की होम डिलेवरी करने की बात कही। उनसे जब भारतीय दवा कानूनों में इस तरह के माल की सप्लाई और स्टॉक के लिए लाइसेंस की जरूरत की बात कही गई तो उन्होंने ऐसा कोई भी लाइसेंस होने की बाध्यता से साफ इनकार कर दिया। इन कंपनियों ने ऑर्डर बुक कराने मात्र पर ही होम डिलेवरी देने का आश्वासन भी दिया। जो भारतीय कानूनों का खुला उल्लंघन है।
इसके साथ ही माल की खरीद के दस्तावेज न मिलने से ट्रांसपोर्टर ही नहीं खरीदार और विक्रेता के जीएसटी समेत तमाम करों की चोरी करने की आशंका भी बढ़ गई है। हालांकि अभी तक न तो पुलिस और न ही जीएसटी आदि विभागों ने इस मामले में कोई कार्रवाई करने की जहमत उठाई है।
जिलेटिन का इस्तेमालजिलेटिन से बनाए गए कैप्सूल के खोल पानी या लार के संपर्क में आते ही चिकने हो जाते हैं। जिसकी वजह से इन्हें निगलना आसान हो जाता है, जबकि सीधे गोलियां खाने से वह अक्सर गले में चिपक जाती है। इसकी वजह से उल्टी होने या उन्हें निगलने के लिए अधिक पानी का इस्तेमाल करना पड़ता है। जो दवाइयों की क्षमता को कमजोर बना देता है।
बड़ी चीज यह है कि जिलेटिन से बने कैप्सूल दो टुकड़ों में बंटे होते हैं जो हमारी आहार नली में लार के संपर्क में आते ही खुल जाते हैं और पूरी की पूरी दवा बिना किसी बाहरी तत्व के संपर्क में आए बिना सीधे पेट में चली जाती है।
नकली दवा से इनकार नहीं
& तीन दिनों में पकड़ी गई कैप्सूल के खोलों की अवैध खेप जिलेटिन से बनी है। हालांकि इसे बनाने में कहीं प्लास्टिक जैसी और भी ज्यादा घातक चीजों का इस्तेमाल तो नहीं किया गया है, इसकी जांच कराई जा रही है। अभी तक की जांच के बाद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कैप्सूल के इन खोलों का इस्तेमाल नकली और अवैध दवाओं के निर्माण में नहीं किया जा रहा था।
रोहिताश्व नागर, ड्रग इंस्पेक्टर, औषधि नियंत्रण विभाग, कोटा

& कैप्सूल के खोल बनाने के लिए जिलेटिन की मात्रा और गुणवत्ता के बेहद कड़े मानक निर्धारित किए गए हैं, लेकिन अवैध तरीके से बनाए गए जिलेटिन कैप्सूल कवर में इनकी पालना नहीं होती। मानक आधारित जिलेटिन कैप्सूल कवर तो शौच के जरिए शरीर से बाहर निकल जाते हैं, लेकिन घटिया क्वालिटी और निर्धारित मापदंडों के अनुरूप तैयार न किए गए अवैध कैप्सूल कवर मरीज के लिए बेहद घातक हो सकते हैं। बीमारी के समय हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम होती है और ऐसे में यदि अमानक दवा का इस्तेमाल किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है।
डॉ. मनोज सलूजा, सीनियर फिजिशियन, न्यू मेडिकल कॉलेज

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